— विमल कुमार —
हनुमान – आपको एक ब्रेकिंग न्यूज़ देता हूँ यशोदापुत्र।
राम – क्या न्यूज़ है?
हनुमान – मंडला में एक आलोचक ने दावा किया है कि हिंदी में विकु शुक्ल के बाद कोई कवि हुआ ही नहीं।
राम – ये विकु शुक्ल कौन हैं? मैंने तो इनका नाम ही नहीं सुना।
हनुमान – आप तो केवल तुलसीदास को जानते हैं। हिंदी में इस समय डेढ़ सौ कवि हैं।
राम – डेढ़ सौ?क्या बक रहे हो। इतने सारे कवि।
हनुमान – हां तात!जनसंख्या बढ़ने से कवियों की संख्या भी बढ़ी है। आप उनको नहीं जानते होंगे।
राम – क्या उन्होंने कोई नया रामायण लिखा है? आखिर उनको मैं कैसे जानूँ। स्वर्ग में हिंदी के कवियों का सम्मेलन होता नहीं।
हनुमान – घबराएं नहीं। रज़ा फाउंडेशन वाले स्वर्ग में भी हिंदी कविता पर एक गोष्ठी रखनेवाले हैं।
राम – लेकिन तुम वी के शुक्ला का जिक्र कर रहे थे।
हनुमान – हां तात! एम सोनी नामक आलोचक बोले वी के शुक्ल के बाद कोई कवि हुआ नहीं। इससे बड़ा हंगामा हो गया। स्त्री कवि काफ़ी नाराज़ हैं। वे गुस्से में हैं। आखिर उनके भविष्य का क्या होगा।
राम – जब तुम्हारे साहब के हाथों हमारा भविष्य खतरे में है तब हिंदी कविता के भविष्य से हमें क्या लेना देना।
हनुमान – हां महाराज! मंडला में एक बड़ा विज्ञापन देखा। अयोध्या में राम मंदिर के लिए 51 हज़ार दर्शन में लगेंगे। बैंक लोन भी आसान क़िस्त में लें।
राम – क्या जमाना आ गया। हमलोग अपनी मूर्ति के दर्शन के लिए बैंक लोन लें।
हनुमान – इससे तो बेहतर आप समवाय में हिंदी कविता गोष्ठी में कविता का आनंद लें। वहां आपको स्त्री कवियों से मुलाकात हो जाये।
राम – लेकिन सुना कि किसी ने आत्महत्या करने की धमकी दी है। अगर आलोचक महोदय ने अपना बयान नहीं बदला तो एक कवयित्री आत्महत्या कर लेंगी।
हनुमान – ये अफवाह किसने फैलाई है। हमें मालूम है। इसलिए उस महोदय को नहीं बुलाया गया मंडला में।
राम – हनुमान तुम पहले से पुलिस को इत्तला कर दो। यह संगीन मामला है।
हनुमान – जो आदेश दें प्रभु!
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