मणिपुर हिंसा के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिरोध

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23 जुलाई. मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई यौनहिंसा के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पिछले 80 दिनों से मणिपुर हिंसा की चपेट में है। 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मानव-त्रासदी को रोकने के बजाय सिर्फ छिपाने और नजरअंदाज करने की कोशिश की है।

गौरतलब है कि यौनहिंसा की यह घटना 4 मई को हुई थी, और 18 मई को इस पर एक एफआईआर भी दर्ज की गयी थी। लेकिन, एफआईआर दर्ज होने के दो महीने बाद तक अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। राष्ट्रीय महिला आयोग को भी 12 जून को ही अलर्ट कर दिया गया था, लेकिन आयोग ने 40 दिनों तक इसका संज्ञान नहीं लिया। वीडियो वायरल होने और लोगों के आक्रोश के बाद ही सरकार ने मामले में कुछ कार्रवाई करने की जरूरत समझी। इस घटना के बाद मणिपुर से और भी यौनहिंसा और बलात्कार के मामले सामने आए हैं। खुद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के मुताबिक यौनहिंसा के सैकड़ों
मामले हुए हैं।

पिछले तीन माह में प्रधानमंत्री दुनिया भर का दौरा कर चुके हैं। लेकिन ढाई महीने से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर की सुध लेने के लिए वह वक्त नहीं निकाल पाये। मणिपुर जाना तो दूर, वो इस पर एक शब्द बोले तक नहीं। उन्होंने मणिपुर के प्रतिनिधिमंडलों से मिलने से भी इनकार कर दिया। राज्य सरकार ने विपक्षी नेताओं को राज्य का दौरा करने से रोका, और मणिपुर गई फैक्ट फाइंडिंग टीम के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दिया। राज्य में तीन महीने से इंटरनेट पर पाबंदी लगी है, जिससे कोई भी खबर बाहर न जा पाए। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने देश के नागरिकों को अंधेरे में रखने की कोशिश की। मोदी सरकार ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाने या राष्ट्रपति शासन लगाने से भी इनकार कर दिया है।

यह स्पष्ट है कि सरकार न केवल शांति सुनिश्चित करने में विफल रही है, बल्कि सक्रिय रूप से नफरत को बढ़ावा दे रही है और अपराधियों की रक्षा कर रही है। मणिपुर की घटना सिर्फ सरकार की विफलता नहीं है, बल्कि इस स्थिति को पैदा करने में सरकार की सक्रिय भूमिका है। चाहे कठुआ हो, या उन्नाव, या हाथरस, चाहे बिल्किस बानो हो, या अंकिता भंडारी, या महिला पहलवानों का मुद्दा, देश में हो रहे सभी यौनहिंसा के मामलों में मोदी सरकार न सिर्फ विफल रही है, बल्कि इसने अपराधियों को बचाने की कोशिश की है।

आज इस घटना ने हम सभी को शर्मसार कर दिया है। आज मोदी सरकार ने भारत माता का सर शर्म से झुका दिया है। मोदी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरत है भारत के लोगों को इस अपराध के खिलाफ उठ खड़े होने की।

इस महात्रासदी के खिलाफ रविवार को पटना के नागरिक समाज की तरफ से बुद्घ स्मृति पार्क में एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एनएपीएम के उदयन राय और मोहम्मद काशिफ युनुस, स्वराज अभियान के ऋषि आनंद, अनूप सिन्हा, गौतम गुप्ता, लोकतांत्रिक जन पहल के सत्यनारायण मदन, कंचन बाला, अशोक गुप्ता, जन मुक्ति संघर्ष वाहिनी के मणिलाल, आश्रय अभियान की सिस्टर डोरोथी, संविधान बचाओ संघर्ष मोर्चा के नागेन्द्र और मीरा यादव, बिहार दलित विकास मिशन के फादर जोज़, एडवोकेट अशोक चन्द्रवंशी आदि ने सभा को सम्बोधित किया। इंजीनियर सुखित नारायण के धन्यवाद संदेश के साथ सभा की समाप्ति हुई।

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