पटना में आशाकर्मी आंदोलन की राह पर

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4 अगस्त। बिहार की राजधानी पटना में अपनी 9 सूत्री माँगों को लेकर आशाकर्मी आंदोलन की राह पर हैं। आंदोलित आशाकर्मियों-फैसिलिटेटरों की सरकार के साथ दो राउंड की हुई वार्ता की असफलता के बाद हजारों आशाकर्मी इकठ्ठा हुईं। आशा कार्यकर्ताओं की नेता शशि यादव ने मीडिया के हवाले से बताया, कि दो राउंड की वार्ता असफल हो चुकी है, लेकिन इससे हम निराश नहीं होने वाले हैं। जब तक हमारी माँगें मानी नहीं जातीं, हमारी हड़ताल जारी रहेगी। अपनी बात जारी रखते हुए शशि ने आगे कहा कि यह ताज्जुब की बात है कि बिहार की महागठबंधन सरकार आशाकर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं देना चाहती, जबकि यह आश्वासन महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल था।

प्रमुख माँगें –

1) आशा कार्यकर्ताओं को राज्य निधि से एक निश्चित मासिक मानदेय प्रदान किया जाए।
2) अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने से पूर्व की सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
3) आशाओं के भुगतान में भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी पर सख्ती से रोक लगाई जाए व पारदर्शिता लाई जाए।
4) कोरोना काल की ड्यूटी के लिए सभी आशाओं-आशा फैसिलिटेटरों को 10 हजार रुपया कोरोना भत्ता भुगतान किया जाए।
5) आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
6) कोरोना से मृत आशाओं व आशा फैसिलिटेटर को राज्य योजना का 4 लाख रु और केंद्रीय बीमा योजना का 50 लाख रु का भुगतान किया जाए।

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