8 अगस्त। सर्व सेवा संघ परिसर पर रेलवे और वाराणसी जिला प्रशासन ने पुलिस के दम पर जिस तरह अवैध रूप से कर लिया, परिसर में दशकों से रह रहे कार्यकर्ता परिवारों को जबरन खींच कर बाहर कर दिया, सारा सामान फेंक दिया, करोड़ों की कीमत सत्साहित्य नष्ट कर दिया उसे लेकर देश भर के गांधीजनों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं में क्षोभ है।
इस अवैध कब्जे के खिलाफ 9 अगस्त को वाराणसी के मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में प्रतिरोध सम्मेलन आयोजित किया गया है। इसमें जहाँ वाराणसी और आसपास के जिलों से गांधीमार्गी कार्यकर्ता व जन संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचेंगे, वहीं दूर दूर से कई दिग्गजों के भी शिरकत करने की संभावना है। इनमें जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की नेता मेधा पाटकर, किसान नेता राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव, डॉ सुनीलम, गांधीवादी चिंतक कुमार प्रशांत, समाजशास्त्री व लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डा आनंद कुमार, नेशनल मूवमेंट फ्रंट के डा सौरभ वाजपेयी, फीरोज मीठीबोरवाला, जनता वीकली की प्रबंध संपादक गुड्डी, आशा बोथरा, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के नेता व मैगसेसे पुरस्कार विभूषित संदीप पाण्डेय के नाम खासतौर से शामिल हैं।
दूसरे दिन यानी 10 अगस्त को वाराणसी कचहरी के नजदीक शास्त्री घाट पर प्रतिवाद प्रदर्शन आयोजित है।
सर्व सेवा संघ परिसर पर, जिला प्रशासन और पुलिस के बल पर रेलवे के अवैध रूप से कब्जा कर लेने की घटना अब एक चर्चित मामला है। वाराणसी में 9 और 10 अगस्त के कार्यक्रमों से अवैध कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध की आवाज और तेज हो सकती है। आगे की लड़ाई किस तरह चलेगी इसका संकेत तो 9 और 10 अगस्त के कार्यक्रमों से मिल जाएगा। लेकिन इतना तो अभी से तय है कि प्रशासन जिसे पटाक्षेप मान बैठा था वैसा नहीं है। अभी 7 अगस्त मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्व सेवा संघ प्रकरण में वाराणसी कलेक्टर का आदेश विधिसम्मत नहीं है। यही नहीं, सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि सर्व सेवा संघ की याचिका पर, वाराणसी न्यायालय में जो वाद लंबित है, उस पर न तो कलेक्टर के आदेश का और न ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का प्रभाव पड़ना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश से, उन अफवाहों का खंडन अपने आप हो जाता है जो अफवाहें रेलवे और जिला प्रशासन फैलाते रहे हैं।
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