— विमल कुमार —
राम – हनुमान ! आजकल तुम्हारी संसद में क्या हो रहा है? सुना कि पिछले दिनों “फ्लाइंग किस” पर बड़ा विवाद हुआ। मुझे तो वीडियो में कुछ दिखा ही नहीं।
हनुमान – प्रभु ! उसे “फ्लाइंग किस” नहीं बल्कि उसे “डायवर्टेड किस” कहिए।
राम – यह “डायवर्टेड किस” क्या होता है? किस तो किस होता है।
हनुमान – नहीं प्रभु ! आपने प्रकाश की किरणों के बारे में पढ़ा होगा कि वे जब किसी सतह से टकराती हैं तो वह डायवर्ट कर जाती हैं। आपने विज्ञान तो स्कूल में पढ़ा होगा। यह “डायवर्टेड किस” कुछ-कुछ उसी तरह का है। राहुल गांधी ने स्पीकर को “फ्लाइंग किस” किया था जो टकराकर स्मृति ईरानी की तरफ चला गया।
राम – हनुमान! तुम भी गजब दिमाग लगाते हो लेकिन मुझे तुम्हारी यह बात गले उतरी नहीं। यह राहुल की शैतानी है। आखिर बात तो मणिपुर पर हो रही थी इसमें किस कहाँ से आ गया।
हनुमान – देखा नहीं! हमारे प्रधानमंत्री ने तो मणिपुर का नाम ही नहीं लिया। यह प्रधानमंत्री तो गांधी और नेहरू के टक्कर के प्रधानमंत्री हैं। आपने अखबार में बद्री भाई का लेख नहीं पढ़ा क्या! हमारे प्रधान जी रोज नए-नए नैरेटिव गढ़ रहे हैं। क्या आपने आज तक कोई नैरेटिव रचने की कोशिश की?
राम – क्या रावण का वध कर हमने नैरिटिव नहीं रचा।रावण कुछ भी था विद्वान था। ज्ञानी था। इसलिए अहंकारी था।
हनुमान – ठीक बोलते हैं प्रभु। आज के रावण भी टेलीप्रॉम्प्टर से बोलते हैं। वे बिल्कुल पढ़े लिखे नहीं हैं।
राम – हनुमान एक दिन तुम मुझे राज्यसभा या लोकसभा की कार्यवाही दिखा दो।
हनुमान – ठीक है प्रभु। आपका विजिटर पास बनवाता हूँ।
राम – क्या प्रेस गैलरी का पास नहीं बनेगा?
हनुमान – वह तो वर्षों से बन्द है। फ्रीलांसर कैटेगरी में नहीं बन सकता। इस सरकार ने वह सब बन्द कर दिया।
राम – हाय राम ! ये क्या हो गया, हनुमान!
हनुमान – ये अमृत काल है महाराज।