15 अगस्त। एक तरफ जहाँ भारत और पाकिस्तान आजादी की 77वीं सालगिरह मना रहे थे, वहीं दूसरी तरफ अमन और दोस्ती के पैरोकारों ने 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को हुए बॅंटवारे की त्रासदी पर अफसोस जताया और उसके दर्द व नफरत से बाहर निकलते हुए दोस्ताना संबंधों की वकालत की।
इस संदर्भ में सोमवार को फोकलोर रिसर्च अकादमी, हिन्द-पाक दोस्ती मंच और साउथ एशिया फ्री मीडिया (साफमा) की तरफ से अमृतसर के खालसा कालेज में सेमिनार का आयोजन किया गया। अकादमी के चेयरमैन प्रो सुरजीत सिंह जज, प्रधान रमेश यादव और हिन्द-पाक दोस्ती मंच के महासचिव सतनाम माणक ने कहा कि हर साल इस समागम को करवाने का मकसद दोनों मुल्कों के संबंधों में बेहतरी लाना है।
कालेज के प्रिंसिपल डॉ महिल सिंह ने बॅंटवारे के दुखांत और उस दौर में खालसा कालेज की सकारात्मक भूमिका पर रोशनी डाली। किसान नेता राकेश टिकैत ने सम्मेलन को सराहा और दोनों देशों के बीच व्यापार को खोलने की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे दोनों पक्षों को लाभ मिलेगा। जेएनयू की प्रो मोनिका दत्ता ने बॅंटवारे के दौरान अपने परिवार की दास्तान बयान की। प्रो कुलदीप सिंह और हरतेज खटकड़ ने धर्म के नाम पर होने वाले बॅंटवारे को खतरनाक बताया। इस मौके पर अकादमी की वार्षिक पत्रिका ‘पंज पानी’ का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर भूपिन्दर सिंह संधू, दिलबाग सिंह सरकारिया, हरजीत सिंह सरकारिया, कमल गिल, राजिन्दर सिंह रूबी, मनजीत धालीवाल, सतीश झिंगन आदि मौजूद थे। शाम को पंजाब नाट्यशाला में जतिन्दर बराड़ लिखित पंजाबी नाटक ‘साका जलियांवाला बाग’ का मंचन हुआ।
आयोजक मंडल के लोग अटारी बार्डर स्थित हिन्द-पाक दोस्ती स्मारक पर गए। वहॉं पर कैंडल जलाकर बॅंटवारे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
(समाचार भास्कर से साभार, फोटो फेसबुक से)