सांप्रदायिक हिंसा व हेट स्पीच के खिलाफ हरियाणा भवन पर प्रदर्शन, पीयूसीएल ने पुलिसिया दमन की निंदा की

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17 अगस्त। दिल्ली में 17 अगस्त को हरियाणा भवन के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिसिया दमन की मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने कड़ी निन्दा की है।

गौरतलब है कि विद्यार्थी और युवा संगठन और सिविल सोसायटी के समूह गुरुवार को अपराह्न में बड़ी संख्या में हरियाणा भवन के बाहर इकट्ठा हुए। ये लोग हरियाणा में हुई सांप्रदायिक हिंसा, हेट स्पीच और हरियाणा सरकार के ‘बुलडोजर इलाज’ पर विरोध जता रहे थे। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर तादाद विद्यार्थियों-युवाओं की थी। ये लोग मंडी हाउस से चलकर हरियाणा भवन पहुंचे। उनके हाथों नारे लिखी तख्तियां थीं – हरियाणा सरकार मुर्दाबाद, हेट स्पीच के खिलाफ कार्रवाई करो, मुसलमानों के बहिष्कार की अपील करनेवालों को गिरफ्तार करो, हरियाणा में हिंसा रोको, गुजरात मालेगांव मुजफ्फरनगर हेट माडल मुर्दाबाद, नूंह में सांप्रदायिक आधार पर बुलडोजर नहीं चलेगा, नूंह की हिंसा के जिम्मेदार मुख्यमंत्री इस्तीफा दो, बिस्मिल और अशफ़ाक़ की साझी शहादत साझी विरासत को खत्म नहीं होने देंगे।

प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक आगे बढ़ रहे थे। जैसे ही वे हरियाणा भवन के नजदीक पहुंचे, वहाँ भारी संख्या में तैनात पुलिस ने उन्हें रोक दिया और कहा कि कोई नारा ना लगाएं। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। फिर पुलिस उन पर टूट पड़ी और खींच खींच कर पुलिस वैन में ठूंसने लगी।

एक तरफ जहाँ यह देखना आह्लादकारी था कि काफी संख्या में विद्यार्थी, नौजवान सांप्रदायिक हिंसा और हरियाणा सरकार के उत्पीड़नकारी रवैये से व्यथित होकर वहाँ आए थे और सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के प्रति अपनी एकजुटता जता रहे थे, वहीं यह देखना क्षोभकारी था कि पुलिस उनके साथ बड़ी बेरहमी से पेश आ रही थी। महिला प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस ने बदसलूकी की और उन्हें धक्का देकर वैन में ठूंस दिया।

ये विद्यार्थी और नौजवान विरोध जताने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिये जाने का कोई कारण नहीं था। पुलिस दो बसों में प्रदर्शनकारियों को ठूंसकर किसी अज्ञात स्थान पर ले गयी। पुलिस के निर्मम व्यवहार को केन्द्र की मौजूदा सरकार की नीति से अलग करके नहीं देखा जा सकता, जो हर असहमति और विरोध को बलपूर्वक कुचल देना चाहती है।

पीयूसीएल की दिल्ली इकाई ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए फौरन उन्हें रिहा करने की मांग की है। पीयूसीएल ने यह भी कहा कि सांप्रदायिक हिंसा और नफरत भरे प्रचार पर रोक लगाने की प्रदर्शनकारियों की मांग पर हरियाणा सरकार और केन्द्र सरकार को तत्परता से कार्रवाई करनी चाहिए।

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