झारखंड के चतरा में लोकसभा चुनाव की रणनीति पर कार्यशाला

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21 अगस्त। 20 अगस्त रविवार को झारखंड के चतरा में चेतना भारती प्रांगण में 2024 की राजनीतिक चुनौती व रणनीति पर एक-दिवसीय लोकतंत्र बचाओ कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें चतरा के डेढ़ सौ सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं व जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला का आयोजन महिला मुक्ति संघर्ष समिति व गांव गणराज्य चतरा द्वारा किया गया। यह लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के तहत झारखंड जनाधिकार महासभा के तत्वावधान में किया गया।

कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार व भाजपा देश के लिए कितनी खतरनाक है, यह अब किसी से छुपा नहीं है। इसके लिए लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के तहत पूरे देश में आंदोलन शुरू हुआ है। झारखंड में अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा इस पहल का समन्वयन किया जा रहा है। पूरे राज्य में क्षेत्रीय चर्चाओं का आयोजन हो रहा है।

यह चर्चा हुई कि मोदी सरकार द्वारा देश की परिकल्पना को धर्म आधारित हिंदू राष्ट्र बनाया जा रहा है। ऐसा राष्ट्र जहाँ हिन्दू, खासकर ब्राह्मण समेत सवर्ण, प्रथम दर्जे के नागरिक होंगे और मुसलमान समेत अन्य अल्पसंख्यक तथा आदिवासी व दलित दूसरे दर्जे के। ऐसा राष्ट्र जो संविधान से नहीं, बल्कि हिन्दू धर्म के नियमों से चलेगा। यह संविधान के विपरीत है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा व उसके इशारों पर विभिन्न सामाजिक-धार्मिक-राजनैतिक संगठनों द्वारा झारखंडी जनता के बीच फूट डाली जा रही है–आदिवासी-कुड़मियों के बीच, ईसाई-सरना आदिवासियों के बीच, हिन्दू-मुसलमान के बीच। हाल में मणिपुर में केंद्र व राज्य के समर्थन से आदिवासियों व ईसाइयों पर कहर ढाया गया। इसे आधार बनाकर धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है। देश की विविधता को खत्म किया जा रहा है।

जंगल और खनिज को लूटने के लिए इनसे जुड़े संरक्षण कानूनों को लगातार कमजोर किया जा रहा है और इन्हें निजी कंपनियों के हाथों बेच दिया जा रहा है।

मोदी सरकार भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसर के कम कर रही है। एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है, दूसरी तरफ मोदी सरकार अडानी व चंद कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुँचाने में और मेहनतकश वर्ग के जनाधिकारों को लगातार कमजोर करने में लगी है। 2014 के बाद आज तक मजदूरी दर में वास्तविक रूप में बढ़ोतरी नहीं हुई। गैरबराबरी इतनी बढ़ गई है कि लॉकडाउन के दौरान अडानी-अंबानी ने प्रतिघंटा जितना कमाया, एक मनरेगा मजदूर को उतना कमाने में 40,000 साल लगेंगे।

मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार देश की लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं जैसे चुनाव आयोग, जांच एजेंसियों आदि को लगातार कमजोर कर रही है। संविधान को कमजोर करते करते अब तो संविधान बदलने की बात की जा रही है। साथ ही, आदिवासी-दलित-पिछड़ों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को लगातार कमजोर किया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि 2019 के बाद लगातार हो रहे शोषण और लोकतंत्र पर हमले के विरुद्ध हर साल कोई न कोई जन आंदोलन हुआ है। जैसे CAA-NRC विरोध, किसान आंदोलन, महिला पहलवानों का आंदोलन आदि। यही रास्ता है देश व संविधान को बचाने का।

कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा यह आह्वान किया गया कि लोकतंत्र को बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में चतरा सहित झारखंड की हर सीट से भाजपा को हराना है। गैरभाजपा दलों से आह्वान किया गया कि वे सुनिश्चित करें कि विपक्ष के वोट का बिखराव नहीं हो और उनकी ओर से साझा उम्मीदवार दिया जाए। झारखंडी समाज को तोड़ने वाले साम्प्रदायिक हिंदुत्व की राजनीति के विरुद्ध जन मुदों पर आधारित और झारखंड को जोड़ने वाला चुनावी माहौल बनाना होगा।‌ मजदूरों , महिलाओं, आदिवासी-दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को झारखंडी सोच की छतरी तले संगठित करना होगा। साथ ही, गठबंधन पर इस दिशा में चलने का दबाव देना होगा।

कार्यशाला में मंथन, सिराज, एलिना होरो, टोनी, विनय सेंगर, ज्योति बहन, बद्री वर्मा, रविशंकर शुक्ला, मोसोबेल इकबाल, जयहिंद पासवान, पांचू गांझू, मो. जमाल अहमद, संजय सहनी, संजय यादव, खुशबू कुमारी समेत कई वक्ताओं ने बात रखी।

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