नदियों को बचाने के लिए राष्ट्रीय नदी घाटी मंच ने की कानून की मांग, पेश किया विधेयक का मसौदा

0

16 सितंबर। शनिवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन के तत्वावधान में राष्ट्रीय नदी घाटी मंच का सम्मेलन यादव भवन, नवलपुरा, बड़वानी में संपन्न हुआ। जिसमें कावेरी, गोदावरी, तीस्ता, महानदी, तापी, कोसी, भागीरथी, गंगा, साबरमती, ब्रह्मपुत्र, पेरियार, कृष्णा, पार्वती, कारम, वांग, पेंच, चम्बल आदि नदियों को बचाने के लिए काम कर रहे जन संगठन और विशेषज्ञ शामिल हुए।

सम्मेलन की भूमिका बताते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण देश की नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इन्हें बचाने के लिए एक केन्द्रीय कानून की आवश्कता है। इस सम्मेलन में कानून मसौदा पर चर्चा होकर इसे पारित किया जाएगा। यह कानून आज के समय की मांग है और प्रत्येक नागरिक समाज का दायित्व है इस कानून को बनवाने में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।

अंतरराष्ट्रीय गोल्डमेन अवार्ड विजेता ओड़िशा के प्रफुल्ल सामंतरा ने अपने उदबोधन में कहा कि जंगल को संरक्षित करने तथा वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण रोकने के लिए कानून है। मगर नदी को संरक्षित करने के लिए कोई कानून नहीं है, जो कि एक जीवित इकाई है। देश के लिए यह कानून अति आवश्यक है और इसे हम हासिल करके के रहेंगे।

केरल के सी.एल. निलकंदन ने कहा कि नदी की पहचान बहते हुए पानी से होती है। जिसे बांध बनाकर खत्म किया जा रहा है। उत्तराखंड से आए समीर रतूड़ी ने जोशीमठ के हादसे के लिए अनियंत्रित विकास को जिम्मेदार माना। उत्तर प्रदेश के अशोक प्रकाश ने कहा कि देश की जनता को समझना होगा कि कार्पोरेट अपने मुनाफे के लिए नदियों पर कब्जा कर रहा है।

बिहार के महेन्द्र यादव ने कहा कि कोशी नदी की बाढ़ और जमीन कटाव के कारण गांव का गांव विलुप्त हो रहा है। महाराष्ट्र के बुधा डामसे ने नदियों पर निर्भर मछुआरों का पहला अधिकार सुनिश्चित करने की बात कही। आसाम से आए विद्युत सैकिया ने कहा कि पूर्वोत्तर में जो कुछ हो रहा है उसको राष्ट्रीय समाचारों में कोई जगह नहीं मिलती। ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर अरुणाचल प्रदेश में विद्युत उत्पादन के लिए बड़ा बांध बनाया जा रहा है।

प्रस्तावित विधेयक के मसौदा का उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख, राज्यसभा सांसद अनिल हेगड़े, देबू राय सांसद पश्चिम बंगाल, नर्मदा न्यास की अमृता सिंह और पूर्व विधायक डा सुनीलम ने समर्थन किया और आश्वासन दिया कि इसे संसद तक पहुंचाने में सक्रिय सहयोग देंगे।

इस कार्यक्रम में भरत सिंह झाला और नारायण गढ़वी (गुजरात), आराधना भार्गव (छिन्दवाड़ा),गीता मीणा (नर्मदापूरम), चन्द्रकांत चौधरी (महाराष्ट्र), सुप्रतिम कर्मकार (बंगाल), बरगी बांध विस्थापित संघ के राज कुमार सिन्हा, सनोबर बी मंसूरी, वाहिद मंसूरी, ओम पाटीदार, मुकेश सिपाही, सुरेश प्रधान, गेंदिया बाबा, कुमारी डिम्पल, सियाराम पाढवी, सादिक भाई चंदेल, राजन मंडलोई, कैलाश यादव, कमला यादव, रामेश्वर सोलंकी, श्यामा मछुआरा, राहुल यादव आदि ने भी अपने विचार रखे।

– राहुल यादव

Leave a Comment