हनुमान पुराण -14

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Hanuman

हनुमान – मां सीते! आपके लिए मैं एक शुभ समाचार लेकर आया हूं। बड़ी मुश्किल से रावण के सैनिकों से बच कर आपसे मिलने आया हूँ।

सीता – अरे हनुमान ! तुम क्या मर्यादा पुरुषोत्तम राम का समाचार लेकर आए हो। वे कुशल तो हैं न? क्या तुम फिर उनकी अंगूठी लेकर आए हो?

हनुमान – मां सीते! अभी अंगूठी को मारिये गोली ! अभी तो मैं आपको महिला आरक्षण बिल का शुभ समाचार लेकर आया हूं! अंगूठी से बड़ी चीज यह बिल। आप सुनकर खुश हो जाएंगी।

सीता – क्यों क्या हुआ? उस बिल का? मैं तो 27 साल से इंतजार करते-करते बूढ़ी हो गयी। मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि वह बिल कभी पास होगा और पास हो भी गया तो क्या फर्क पड़ता है?

हनुमान – ऐसा ना कहिए जनक पुत्री! वह बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गया है। आखिर उन्होंने वह काम कर दिखाया जो कांग्रेस नहीं कर सकी।

सीता – लेकिन पवनसुत ! तुम यह भूल रहे हो कि वह बिल राजीव गांधी का ही सपना था लेकिन जो पास हुआ वह केवल एक झुनझुना है। अभी तो वह लागू भी नहीं होगा। 2024 की जगह 2029 में लागू होगा। इस तरह से तुम्हारे साहब ने दो दो चुनाव जीतने का जुगाड़ कर लिया है।

हनुमान – अरे, इसका मतलब आप अभी खुश नहीं।लेकिन अब तो 2029 में सांसद बन जाएंगी। मुझे भी ले चलिएगा अपने साथ। नया संसद भवन देखना चाहता हूँ। आप लक्ष्मण भैया को भी ले चलिएगा। जब हमलोग आपके साथ उस नए संसद भवन जाएंगे तो सभी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ होगी। कितना अच्छा लगेगा पूरे देश को। आपके जाने पर टीवी वाले आपका इंटरव्यू करेंगे। आपका लाइव टेलीकास्ट करेंगे जैसे अभी कंगना राणावत का हुआ है। हर चैनल पर कंगना राणावत ही छाई थी।

सीता – हनुमान ! मुझे तो लगता है कि लगता है कि तुम्हारे साहब ने कंगना राणावत की सलाह पर ही यह बिल लाया था।

हनुमान – हो सकता है। कंगना ने ही उनको सुझाव दिया होगा। अब तो स्मृति के बाद कंगना की ही चलती है। खैर, जो भी हो। लेकिन उन पिछड़ी महिलाओं का क्या होगा? अब तो शरद यादव भी नहीं रहे जो उनके लिए लड़ते। लालू भी नहीं रहे संसद में और नीतीश भी संसद में नहीं रहे, तो भला उनके लिए अब कौन लड़ता?

लेकिन मातृ श्री! जो भी हो इस बिल से देर सबेर कम से कम कुछ और महिलाएं संसद में आएंगी।

सीता – तुम्हारी बात ठीक है, लेकिन अभी भी तो 78 महिलाएं संसद में हैं न? लेकिन मणिपुर में स्त्री को नंगा किए जाने पर कितनी सामने आयीं। इसलिए ज्यादा जरूरी है कि संसद में किस तरह की महिलाएं किस पृष्ठभूमि की महिलाएं सामने आती हैं और कितना सच बोलती हैं। मैं तो इस बिल के पक्ष में पूरी तरह नहीं हूँ, भले ही तुम लोग इसके पास होने पर ढोल पीटो।

हनुमान – तो क्या आप संसद सदस्य नहीं बनना चाहती हैं? दीपिका चिखालिया तो सीता का रोल करके इतनी लोकप्रिय हो गई थीं कि वे लोकसभा चुनाव जीत गयी थीं। आप तो खुद सीता माता हो। एकदम ओरिजिनल।आप तो फौरन जीत जाएंगी।

सीता – हनुमान! सीता को आज कौन पूछता है! तो तुम चाहते हो कि मैं भी क्या अरुण गोविल की तरह भाजपा जॉइन करूँ?

हनुमान – माता, इसी में भलाई है। हम लोग 2029 में अयोध्या से सीता मईया को जिताकर रहेंगे।

राम – हेलो हेलो हनु ! अभी अभी तुम्हारे साहब का फोन आया था। वे कह रहे थे कि जिस तरह कंगना ने इस बिल के पक्ष में बयान दिया है उसी तरह सीता मईया बयान दे दें तो उनकी सीट पक्की। वे सुधीर चौधरी को भेज रहे हैं। अर्णब को भी।

हनुमान – माता! अब वे सारे 14 एंकर्स आपके पास आ रहे हैं। आपको आज शाम डिबेट में भी भाग लेना होगा।

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