— गोपाल राठी —
किशन जी से हमारा सम्पर्क तब हुआ जब जनता पार्टी विघटन के बाद समाजवादी यहां वहां बिखर गए थेl इसी विचलन काल मे बहुत से समाजवादी गांधीवादी समाजवाद के झांसे में आकर भाजपा में चले गए थेl हमारी आयु 21 वर्ष थीl हम और हमारे जैसे अनेकों नौजवानों ने समता संगठन का अंग बनकर किशन जी के नेतृत्व में यह शपथ ली कि हम आगामी 10 साल चुनावी राजनीति से दूर रहकर समाज के सबसे कमजोर तबकों को शिक्षित करेंगे संगठित करेंगेl उन्ही दिनों एशियाई खेल भारत मे हुए थे जिनके लिए सरकार ने विश्व बैंक और IMF से लोन लिया थाl
लोन की शर्तें देश के स्वभाविमान के प्रतिकूल थी और किसानों और मजदूरों के खिलाफ थीl जिसका हम लोगो ने विरोध किया था l देश मे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के खतरे और विदेशी पूंजी के खतरे को सबसे पहले किशन जी ने ही पहचाना था l 1981 में समता संगठन द्वारा प्रकाशित पुस्तिका शायद पहला दास्तावेज था जिसमे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उत्पादन के बहिष्कार के साथ ही उसके विकल्प सुझाये गए थे l 1995 में समता संगठन समाजवादी जन परिषद नामक राजनैतिक दल में परिवर्तित हो गया जिसके पहले अध्यक्ष किशन जी थे l
1991 में शुरू हुई नई आर्थिक नीतियों डंकल प्रस्ताव और विश्व व्यापार संगठन का समता संगठन और समाजवादी जनपरिषद ने प्रबल विरोध किया l किशन जी और सुनील भाई ने इन नीतियों के जिन खतरों से आगाह किया था वे आज सच साबित हो रहे हैं l वर्तमान सरकार ने तो हद पार कर दी l ऐसे संक्रमण काल मे किशन जी जैसे तेजस्वी व्यक्तित्व की शिद्दत से ज़रूरत महसूस होती है जो अपने समय से आगे देखने में दृष्टि रखते थे l गुरुतुल्य साथी किशन जी को बारम्बार नमन l