मुलताई तहसील का पांढुरना जिले में विलय नामंजूर -किसान संघर्ष समिति

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Merger of Multai tehsil in Pandhurna district rejected

हम मुलतापी को जिला बनाने का आंदोलन जारी रखेंगे, मुलतापी की पहचान को समाप्त नहीं होने देंगे।

मुलताई तहसील को पांढुरना जिले में विलय किए जाने के खिलाफ किसान संघर्ष समिति ने किसंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम एस डी एम को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन देने के बाद डॉ सुनीलम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुलताई को जिला बनाने के आंदोलन को तेज करने के लिए सभी राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संगठनों को एक साथ आना चाहिए ताकि मुलतापी को जिला बनाया जा सके।

उन्होंने सभी संगठनों, पार्टियों, ग्राम पंचायत- जनपद पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों से अपील की है कि वे मुलतापी को जिला बनाने तथा मुलताई तहसील का विलय पांढुरना में न करने के प्रस्ताव को अपने लेटर पैड पर लिखकर मुख्यमंत्री को भेजें तथा जरूरत पड़ने पर संघर्ष करने को तैयार रहें।

मुख्यमंत्री के नाम भेजे गए ज्ञापन में कहा गया कि अखबारों के माध्यम से हमारी जानकारी में आया है कि आपकी सरकार द्वारा मुलताई तहसील को पांढुरना जिले से जोड़ने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव पर हम आपको अपने पक्ष से अवगत कराना चाहते हैं। किसान संघर्ष समिति और पूर्व विधायक, मुलतापी के तौर पर हम इस तरह के किसी भी प्रस्ताव और प्रयास के खिलाफ हैं।

मुलतापी सूर्य पुत्री मां ताप्ती का उद्गम स्थल है, जिसका उल्लेख हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए पुराणों में मिलता है। धार्मिक नगरी के तौर पर समाज, मध्यप्रदेश की सरकारें और प्रशासन मुलतापी को मान्यता देते आ रहे हैं । लंबे अरसे से मुलतापी को जिला बनाने की मांग मुलताई तहसील के नागरिकों द्वारा की जाती रही है। बैतूल जिले का गठन 1822 में हुआ था। अब आपकी सरकार द्वारा बैतूल जिले को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

ज्ञापन पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से पूछा गया कि आपकी सरकार द्वारा यह फैसला किन आधारों पर किया जा रहा है? क्या आपने बैतूल जिले के सांसद तथा मुलताई के विधायक से इस संबंध में बातचीत की है ? क्या उन्होंने बैतूल जिले को तोड़े जाने तथा मुलताई तहसील का विलय पांढुरना जिले में किए जाने हेतु सहमति दी है ? क्या मुलताई विधायक और बैतूल सांसद ने चुनाव के समय मुलताई के मतदाताओं को यह बतलाया था कि यदि वे चुनाव जीतते हैं, तो मुलताई तहसील का पांढुरना जिले में विलय करेंगे?

अगर आपकी पार्टी के विधायक और सांसद ने इस तथ्य का खुलासा किया होता तो यह तय था कि इन दोनों की मुलताई विधानसभा क्षेत्र में जमानत जप्त हो जाती। यह सही है कि विधानसभा चुनाव के दौरान आप मुख्यमंत्री नहीं थे, न ही आपने मुलताई में आकर वोट मांगे थे लेकिन आप बैतूल लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए आए थे, तब आपने अपनी मंशा का खुलासा नहीं किया था।

आपकी भारतीय जनता पार्टी बैतूल जिले में कई लोकसभा चुनाव लगातार जीतती आ रही है। बैतूल वासियों द्वारा आपकी पार्टी को लगातार जिताए जाने के बदले में आप बैतूल जिले को तोड़कर मुलताई तहसील को पांढुरना में जोड़ रहे हैं। लोकतंत्र का तकाजा है कि आप मुलताई तहसील में रायसुमारी / जनमत संग्रह कराएं। मुलताई तहसील की जनता जो भी निर्णय करेगी वह हमें मंजूर होगा। किसान संघर्ष समिति मुलताई तहसील के पांढुरना जिले में विलय का पुरजोर तरीके से विरोध जारी रखेगी।

छिंदवाड़ा के भूला पुनर्वास, जमुनिया में मनाया ‘कॉर्पोरेट विरोधी दिवस’ हम मुलतापी की पहचान को समाप्त नहीं होने देंगे। आशा व्यक्त की गई है कि मुख्यमंत्री मुलताई वासियों की भावना का ध्यान रखते हुए मुलताई के पांढूरना जिले में विलय के प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाएंगे!

ज्ञापन पत्र में इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री से एक प्रतिनिधिमंडल को मुलाकात हेतु समय देने की मांग की गई है। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से मुलताई अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सी एस चंदेल, भाकपा नेता पिरथी बारपेटे, किसंस की प्रदेश उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के, जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मण बोरबन, सपा जिलाध्यक्ष कृपाल सिंह सिसोदिया, सपा महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष गीता हारोड़े, पूर्व सपा जिलाध्यक्ष अनिल सोनी, डखरू महाजन, बिनोदी महाजन, कृष्णा ठाकरे, श्रीकांत वैष्णव, चैनसिंह सिसोदिया, बलबीर सिंह सिसोदिया, जुगल किशोर भावसार, बिरज चिकाने, भागवत परिहार आदि शामिल रहे।

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