— प्रोफेसर हितेंद्र पटेल —
मुल्कराज आनंद ने अंग्रेजी राज का बड़ा अभिशाप यह माना था कि इसने हमारा आंगन छीन लिया। नियो इंडियंस ने देश में सबसे खतरनाक चीज़ पैदा की है वह है इसने गरीब लोगों को लोभी बना दिया। इतिहास में पहली बार गरीब लोभ लालच की चपेट में इस कदर आए हैं। यह मेरा इंप्रेशन है। अच्छे बुरे सभी तरह के लोग हर समाज में होते हैं लेकिन जिस गति से गरीब लोग हर कीमत पर पैसा कमाना चाहते हैं उसको देखकर डर लगता है।
पहाड़ के लोग भी बुरी तरह से इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसको स्वीकार किया जा सकता है। आज की चपेट की तरह यह बीमारी फैल रही है। इस प्रवृत्ति का मुकाबला कैसे हो? कैसे हम युवाओं को समझाएं कि जीवन में पैसा कमाना ही सबकुछ नहीं है। जो चौबीसो घंटे पैसे कमाने में लगे हैं उनकी प्रशंसा करना और उनका अनुसरण करना समाज के लिए घातक है। हर लेवल पर यह पूछा जाना चाहिए कि आपने पैसा कैसे कमाया?
पैसा कमाना बुरी बात नहीं। प्राचीन काल से पैसे कमाने वाले बहुत बुद्धि और साहस के साथ व्यवसाय करके धनी बनते थे और उनका सम्मान भी था। लेकिन समाज में सबसे अधिक सम्मान धनवानों को भारत ने कहीं नहीं दिया। जब से यह भौतिक सुख के प्रति ललक बढ़ी है उसी समय से हमारा समाज भटकाव का शिकार हुआ है। कहना होगा कि धनवानों के लिए भारत में स्वर्ण युग ग्लोबलाइजेशन के बाद ही आया।
गरीब और धार्मिक लोग धन के लिए तरसते थे। उनके जीवन में बहुत अभाव थे लेकिन वे इसके लिए सारे कुकर्म के लिए राजी नहीं होते थे। ईश्वर हमारे लिए इस रूप में जरूरी था क्योंकि अगर ईश्वर का भय न हो तो वह कोई भी कुकर्म कर सकता है। (दोस्तोव्येसकी) ईश्वर और धर्म को धनवानों ने भी अपदस्थ करने की कोशिश पहले कभी नहीं की। वे भी इनका ख्याल करते थे। अब धनवानों का चरित्र भी बदला है।
जब तक धन के वर्चस्व को चुनौती नहीं दी जाती कोई भी व्यवस्था ला दो परिवर्तन नहीं होगा। धनवानों से लड़ने की जरूरत नहीं, यह समझने की जरूरत है कि हमारा जन्म धनवान होने के लिए नहीं हुआ है ज्ञानवान होने के लिए हुआ है। हमारी चेतना पर धन का दबाव कम होना ही पड़ेगा। हम लोग हर स्तर पर धनवानों के वर्चस्व को चुनौती दें।
आग लगने पर बुद्धिमान लोग यह प्रयास पहले करते हैं कि जहां आग नहीं लगी है वहां इसके लगने को रोकें। आग को आगे बढ़ने से रोकने के बाद ही आग को बुझाने की सोचिए। जहां यह धन का लालच पूरी तरह से हावी न हो वहां सबसे पहले काम करना होगा। युवा वर्ग अभी भी धन के लिए उतने आतुर नहीं हैं। वहां सबसे अधिक काम करने की जरूरत है। इसकी शुरुआत इस बात से हो सकती है कि यह संदेश दो कि चमकने की कोशिश मत करो खिलने की कोशिश करो! दूसरी बात: जो पैसे की शक्ति का गुणगान करे उसके पास कम से कम समय बिताओ।