सर्बियन राइटर्स एसोसिएशन की सदस्यता पाने वाले दूसरे भारतीय साहित्यकार : डा जरनैल सिंह आनंद

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— रणधीर गौतम —

भारतीय साहित्य अकादेमी तथा भारत सरकार के लिए ये गर्व की बात है कि भारत के एक साहित्यकार को एसोसिएशन ऑफ सर्बियन राइटर्स की मानद सदस्यता हासिल हुई है। एक सदी बीत जाने के बाद साहित्य के क्षेत्र में भारत के लिए अब एक और नोबेल प्राइज की संभावना बनती नजर आ रही है। एसोसिएशन ऑफ सर्बियाई राइटर्स, बेलग्रेड ने चंडीगढ़ से भारतीय साहित्यकार और फिलॉसफर डॉ जरनैल सिंह आनंद को आनरेरी सदस्य नियुक्त किया है। यह नियुक्ति इस तथ्य के मद्देनजर बहुत महत्त्वपूर्ण है कि सर्बियन एसोसिएशन नोबेल विभूषित साहित्यकारों को ये सम्मान देती है। लगभग एक सदी पहले, नोबेल पुरस्कार हासिल कर लेने के पश्चात रवींद्रनाथ टैगोर को भी, नवम्बर 1926 में, यह सम्मान मिला था।

सर्बियाई लेखक डॉ माजा हरमन सेकुलिक, जो हाल ही में चौथे अंतरराष्ट्रीय साहित्य शिखर सम्मेलन और विश्व कविता सम्मेलन में भाग लेने के लिए चंडीगढ़ में थी, ने खुलासा किया कि नोबेल पुरस्कार विजेता इवो एड्रिक, अमेरिकन कवि जोसेफ ब्रोडस्की, ब्रिटिश नाटककार, निर्देशक और अभिनेता हेरोल्ड पिंटर और आस्ट्रेलियाई उपन्यासकार, नाटककार, अनुवादक और फिल्म निर्देशक पीटर हैंडके भी उन महान साहित्यकारों में शामिल हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ हैं। डॉ आनन्द ने अंग्रेजी कविता, कथा साहित्य, कथेतर गद्य, तथा अध्यात्म और दर्शन में 150 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें आलोचना के क्षेत्र में बायोटेक्स्ट के सिद्धांत का श्रेय दिया जाता है। उनके काम का बीस से अधिक विश्व भाषाओं में अनुवाद किया गया है। 9 महाकाव्यों के लेखक, जिन्हें आधुनिक क्लासिक माना जाता हैं, आनंद ने 4 अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलनों का आयोजन किया है, उनमें से नवीनतम चंडीगढ़ में हुआ जिसमें सर्बियाई कवि डॉ माया हरमन सेकुलिक सम्मेलन की अध्यक्ष थीं।

डा आनंद को इसी साल फ्रांज़ काफ़्का अवार्ड से भी नवाजा गया। मकदूनिया से उन्हें करिमोव एको साहित्य अवार्ड प्राप्र्त हुआ। आर्ट फॉर पीस फाउंडेशन की तरफ से उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। उनकी महाकाल ट्राइलॉजी एक महत्त्वपूर्ण रचना है जिसमे ‘लस्टस’ जैसे शैतान का अंत दिखाया गया है। डा माया हरमन सेकुलिस का मानना है कि डा आनंद विश्व के सबसे बड़े कवि और फिलास्फर हैं जिनकी उन्होंने अंग्रेजी साहित्य के सबसे बड़े व्यंग्यकार डेनियल डेफो से तुलना की है। 2016 में डा आनंद ने इटली और नाइजीरिया में साहित्यिक सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वर्ल्ड यूनियन ऑफ पोएट्स, इटली की तरफ से उन्हें क्रॉस ऑफ पीस एंड क्रॉस ऑफ लिटरेचर जैसे सम्मान से नवाजा गया और वो इसके सेक्रेटरी जनरल भी रहे।

डा आनंद ने पश्चिमी और भारतीय साहित्य और मिथकों पर आधारित महाकाव्य लिखे, इन रचनाओं ने विश्व में ख्याति प्राप्त की। उन्होंने अपनी रचनाओं में मानव की दिव्यता की बात की है और मनुष्य को कुदरत से प्यार करने का आग्रह किया है। वो एक ब्रह्मांडीय चेतना की बात करते हैं जो मनुष्य को कुदरत का एक अंग मानती है। भारत के लिए ये गौरव की बात है कि एक हिन्दोस्तानी की रचनाओं की वैश्विक स्तर पर गूँज हो रही है। पंजाब सरकार चंडीगढ़ में रहने वाले इस महान साहित्यकार की शानदार उपलब्धियों से पूरी तरह बेखबर जान पड़ती है।


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