यूट्यूब पत्रकार – राजनीतिक विश्लेषक “जुगलबंदी”

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Haryana Election Result

Rajiv Godara

— राजीव गोदारा —

त्रकारिता के क्षेत्र में तेजी से उभरा माध्यम यूट्यूब सार्वजनिक विमर्श को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रहा है! धरातल से रिपोर्टिंग हो या राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत, दोनों ही तेजी से फैल रहे हैं! स्वस्थ लोकतंत्र में यह स्वागत योग्य प्रक्रिया है! जहाँ अख़बार व टीवी नहीं पहुंचता था उस वर्ग से जुड़े मुद्दों को यूट्यूबर पत्रकारिता ने सार्वजनिक पटल पर रख दिया है! वजह जो भी हो यूट्यूब पत्रकारिता ने जैसे ही पैर पैसारने शुरू किये वैसे ही स्थापित अखबार व टीवी चैनल के कई पत्रकारों ने यूट्यूब पत्रकारों को दोयम दर्जे के पत्रकार दिखाने के लिए अलग व्यवहार शुरू कर दिया था! इसका पहला अनुभव अक्टूबर 2020 में हरियाणा के सिरसा शहर में किसानों की धरने से गिरफ्तारी के समय किया! जब पत्रकारों ने किसान नेताओं से प्रतिक्रिया मांगी और यूट्यूबर पत्रकार शामिल थे, तब स्थापित अख़बारों व टीवी चैनलों के कई पत्रकार बाद में अलग से प्रतिक्रिया लेने की बात कह यूट्यूबर पत्रकारों के साथ शामिल नहीं हुए! बल्कि उन्होंने अलग समूह में प्रतिक्रिया ली!

टीवी चैनलों पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा व राजनीतिक विश्लेषन की तर्ज पर यूट्यूब पत्रकारिता भी मैदान में उतर आई! बेशक इस प्रक्रिया ने भी राजनीतिक विमर्श को विस्तार दिया व जमीन से जुड़ी जानकारी आम जन की भाषा-शैली में सार्वजनिक विमर्श को प्रभावित करने में सार्थक भूमिका निभाती दिखाई दी! मगर नया आयाम दिखाई देने लगा है कि यूट्यूब पत्रकारिता के दोनों ही स्तर (रिपोर्टिंग व बातचीत ) पर तथ्यों की परवाह कम होती जा रही है जबकि “ऊँची आवाज-बड़े दावे” लोकप्रियता के पैमाने बनने लगे हैं! विश्लेषण में एक तरफा राय को तथ्यों या बिना तथ्यों के पेश करने का सिलसिला तेज होता गया है! इसे सुनते हुए कई बाऱ आभास होता है कि यह कोई विश्लेषण या चर्चा नहीं बल्कि यूट्यूब पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक के बीच जुगलबंदी चल रही है! इस सब के बीच महसूस होता है कि यूट्यूब पत्रकारिता व राजनीतिक विश्लेषक प्रजाति की भी बेलाग-बेलिहाज मगर निष्पक्ष विवेचना की जाये!

बेशक किसी पत्रकार को कोई सूचना साझा करते हुए उसका स्रोत (सोर्स) बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, इसी के आवरण में छुप कर कुछ पत्रकार बिना किसी तथ्य के, सूत्रों का हवाला देकर झूठी जानकारी देने का लालच या दबंगई करने लगे हैं! कुछ विश्लेषक भी इसी मुखौटे को ओढ़ कर झूठ को तथ्य की तरह पेश करते हैं और सूत्र का हवाला/बहाना भी नहीं देते!
गजब तो तब होता है जब सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध तथ्यों को भी अपने तर्क के अनुसार जोड़ -तोड़ कर झूठ बोल देते हैं! इतना ही नहीं यूट्यूब एंकर भी विश्लेषक के तथ्यों को अक्सर ही सही मानते हुए सवाल नहीं पूछते और न हीं किसी भी बिंदु पर अपना अस्वीकरण (disclamer) देते हैं! कुछ उदाहरण से इस विवेचनात्मक विमर्श को शुरू करने की एक कोशिश है, बेशक यह विमर्श बहुअयामी होगा! किसी भी तरह के उदाहरणों की किसी फहरिस्त की सीमा में इसे बाँधा नहीं जा सकता!

मगर एक पक्ष-एक झलक कुछ यूं भी है! यहाँ नामों का जिक्र नहीं किया जा रहा, ताकि सरोकार नामों में उलझ कर कहीं भटक न जाये! हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की हार के एक “विश्लेषणात्मक” प्रोग्राम में “पत्रकार विश्लेषक” दोनों पार्टियों को मिले वोट प्रतिशत तक का जिक्र नहीं करते मगर कांग्रेस की हारी हुई एक महिला उम्मीदवार को टिकट मिलने का जिक्र करते हुए, किसी नेता को दोषी इंगित करते हुए महिला नेत्री पर बिना आधार के लांछन लगाते हैं और एंकर इससे खुद को अलग करते हुए अस्वीकरण दर्ज नहीं करते! इसी कथन को आधार बना कर विपक्षी पार्टी महिला की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हुए लांछित करती है!

एक अन्य चर्चा में राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि चुनाव आयोग ने चुनाव के दिन 05.10.2024 की शाम को डाले गए मतों का प्रतिशत 61.19 जारी किया, मतगणना से एक दिन पहले 07.10.2024 डाले गए मतों का प्रतिशत फिर से जारी किया और अब इसे 67.9 बताया गया! इस तरह से 1362130 वोट अधिक दिखाए गए! यह भी कहते हैं कि किसी ने बताया था कि चुनाव आयोग ने 5 अक्टूबर देरी शाम 61.9 प्रतिशत का आंकड़ा बताया था! चुनाव आयोग कि वेबसाइट पर मौजूद प्रेस नोट दिखाते है कि चुनाव आयोग ने 05 अक्टूबर को शाम 7 बजे के प्रेस नोट में उस समय तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर पूरे राज्य में डाले गए वोटों का आंकड़ा 61.19 बताया और कहा कि रात 11.45 बजे फिर उस समय तक मिल वाले आंकड़े जारी किया जायेगा! रात 11.45 पर जारी प्रेस नोट में मतदान प्रतिशत 65.65 बताया गया.

यानि नए आंकड़े पहले के आंकड़ों से 905380 ज्यादा मतदान दिखा रहे थे. फिर 7 अक्टूबर को जारी किये गए प्रेस नोट में मतदान 67.9 दिखाया गया! इस तरह से 05 अक्टूबर को बताये गए 65.65 मतों से 456750 ज्यादा मत डाले बताये गए! अब इन बढे हुए मतों पर व डाले गए मतों का प्रतिशत भर देने व कुल मतों का आंकड़ा न देने पर सवाल करना वाजिब है मगर 05 अक्टूबर की रात को जारी किये आंकड़ों का अनदेखा होना गंभीर है! इस दौरान एंकर मग्न होकर सुनता है यह सनसनीखेज “रहस्ययोद्धघाटन”, कोई सवाल नहीं करता!

एक अन्य यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर एक राजनीतिक विश्लेषक हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार पर चर्चा शुरू करते हुए कहते हैं कि यहाँ अकादमिक कताई नहीं करूँगा, बेशक वह उन्हें पसंद है! यह भी दावा करते हैं कि मैं भी राजनीति की समझ रखता हूँ. उसके बाद बताते हैं कि 17 सीटों पर कांग्रेस के विद्रोही चुनाव लड़े, जिसके चलते ये सीटें कांग्रेस हारी. यह भी कहते हैं कि कुछ आजाद उम्मीदवार हुडा ने, कुछ शैलजा व सुरजेवाला ने और कुछ को भाजपा ने सहारा देकर चुनाव लड़ाया! इन 17 सीटों पर कांग्रेस व उसके बागी उम्मीदवार को मिले वोटों का ब्यौरा भी देते हैं! उन विश्लेषक द्वारा बताई गई इन 17 सीटों में से कुछ सीटों के बारे में दी गई जानकारी तथ्यों से परे है!

उदाहरण के लिए:

* डबवाली सीट का जिक्र करते हुए कहा गया कि वहां कांग्रेस के बागी को 2000 वोट मिले और कांग्रेस 670 वोट से हार गई! यह तथ्य नहीं बल्कि गलत सूचना है. उस सीट पर न ही तो कोई कांग्रेस का बागी उम्मीदवार बना और न ही किसी को 2000 वोट मिले!

* इसी तरह से रानिया सीट का जिक्र करते हुए कहते हैं कि
यहाँ से 36000 वोट कांग्रेस के बागी को मिले! यह तथ्य नहीं है! असल में वह 36000 हजार वोट लेने वाला आजाद उम्मीदवार भाजपा सरकार का मंत्री रंजीत सिंह था!

* विश्लेषक बताते हैं कि सफीदों से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार को 29000 वोट मिले! असल में जिन दो आजाद उम्मीदवारों देशराज देसवाल व बचन सिंह आर्य को मिला कर करीब 29000 वोट मिले उन दोनों का नाम कांग्रेस से टिकट चाहने वाले आवेदकों की लिस्ट में नहीं था!

* चर्चा में विश्लेषक के अनुसार पुंडरी से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार को 40000 वोट मिलने से कांग्रेस हारी! आजाद उम्मीदवार सतबीर बाणा को 40000 वोट मिले! जबकि कांग्रेस के आवेदकों की लिस्ट में सतबीर जांगड़ा था न कि सतबीर बाणा, तथ्य है कि सतबीर बाणा की फेसबुक पर कांग्रेस की टिकट के चाहवान होने व रणदीप सुरजेवाला का नजदीकी होने के प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलते हैं!

* वे बताते हैं कि राई से कांग्रेस बागी को 12000 वोट मिले वा कांग्रेस हार गई. यहाँ से आजाद उम्मीदवार प्रतीक राज शर्मा को 12000 वोट मिले मगर उसका नाम आवेदकों की लिस्ट में नहीं था.

* विश्लेषक बताते हैं कि तिगांव में कांग्रेस उम्मीदवार बागी को मिले 57000 वोट की वजह से हार गया! यह सही है कि आजाद को 57000 वोट मिले! मगर आजाद उम्मीदवार का नाम कांग्रेस की टिकट चाहने वाले आवेदकों की लिस्ट में नहीं था.

* विश्लेषक कहते हैं कि असंध से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार को 16000 वोट मिले व कांग्रेस हार गई. आजाद उम्मीदवार जिले राम शर्मा को 16000 वोट मिले मगर वह तो कांग्रेस कि टिकट के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों की लिस्ट में नहीं था.

* विश्लेषक बताते हैं कि महेन्द्र गढ़ से कांग्रेस के बागी को 21000 वोट मिले और कांग्रेस हारी. आजाद उम्मीदवार संदीप सिंह को 21000 वोट मिले मगर वह भी कांग्रेस टिकटर्थियों (आवेदकों) की लिस्ट में तो नहीं था.

* उक्त विश्लेषक के अनुसार सोहना से कांग्रेस के बगियों को 70000 मिले व कांग्रेस हारी! तथ्य यह है कि दो आजाद उम्मीदवारों जावेद अहमद व कल्याण सिंह को मिलाकर 70000 वोट आये मगर इन दोनों ही उम्मीदवारों के नाम कांग्रेस की टिकट मांगने वाले आवेदकों की लिस्ट में नहीं थे.

यह सच है कि कांग्रेस अनेक विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार की वजह से हारी! जिन सीटों का जिक्र विश्लेषक महोदय ने नहीं किया उनमें दादरी को जोड़ा जा सकता है जहाँ से कांग्रेस प्रत्याशी 1957 वोट से हारी व बागी अजित सिंह को 3369 वोट मिले!

ये झलकियां कुछ बोलती हैं, बहुत कुछ नहीं भी बोलती! दर्शक की रूचि व राजनीतिक शिक्षा व विश्लेषण की ‘प्रवृति’ की समझ के अनुरूप कार्यक्रम को बनाने का दवाब सिर्फ ज्यादा दिखने के प्राकृतिक स्वभाव के आलावा यूट्यूबर के राजस्व/आय से जुडा मसला है! वहीं अकादमिक कताई वाले निष्पक्ष विश्लेषण की बजाय पक्षपाती राजनीतिक एकांगी शोर को पसंद किये जाने की प्रचलित समझ और विश्लेषक की राजनीतिक समझ/झुकाव भी अपनी भूमिका अदा करता है!

मगर सरोकार व चिंता भी वही है कि हम इस आपाधापी में कैसा विमर्श चलाकर कैसी राजनीति का निर्माण करेंगें! मगर समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्ग की मजबूत व सार्थक आवाज बनने की कुव्वत रखने वाली यूट्यूब पत्रकारिता की विश्वस्नीयता को बचाये रखना जरुरी है ताकि अनसुनी की जाने वाली आवाजें सुनाई दे सकें और चुप रह जाने वाली आवाजें बुलंद हो सकें! यही सरोकार व चुनौती है जो खुले मन से मंथन की मांग करती है!

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