लोक वासना – बाबा विनोबा

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Vinoba-Bhave

लोग हमे भला कहे, सर्वत्र हमारी किर्ति हो, सभी हमे इज्जत दे यह बड़ी दुर्बलता है वासनाये तीन प्रकार की होती हैl पुत्र वासना, वित्त वासना, और लोकवासनाl

इन तीनो वासनाओ का परित्याग करने से जीवन में भक्ति का समग्र रुप अभिव्यक्त होता हैl भक्ति के मार्ग पर अनेको व्यक्तियो ने पुत्र वासना छोडी, वित्त वासना भी छोडी परंतु लोक वासना को छोडने के लिए कृत कार्य नहीं हो सकेl

लोग हमे अच्छा कहे, लोग हमे भला कहे, सर्वत्र हमारी किर्ति हो, सभी हमे इज्जत दे, लोगो मे हमारा सम्मान बढे, हमे प्रतिष्ठा मिले यह एक बहुत बड़ी लोक वासना हैl सामान्य मनुष्य को इससे प्रेरणा मिलती है और वही उनके लिए प्रुष्ठ बल भी सिद्ध होता हैl परंतु परमेश्वर की भक्ति मे वह मनुष्य का बल नही, दुर्बलता हैl इस दुर्बलता पर जिसने विजय प्राप्त कर ली, वे भक्ति की कसौटी पर खरे उतर गये, उनकी भक्ति साधना सफल हो गईl

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