साम्राज्यवाद : महात्मा गांधी

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दुनिया का सबसे बड़ा संकट तो आज वह साम्राज्यवाद है, जो दिन-पर -दिन अपने पैर फैलाता जाता है, दुनिया को लूटता जाता है, जिसे अपनी जवाबदारी का भान नहीं है और जो भारत को गुलाम बना कर उसके द्वारा दुनियां की तमाम निर्बल जातियों के स्वतंत्र अस्तित्व और विकास के लिए खतरा उपस्थित कर रहा है । वह अपनी अमानुषिकताओं, डायरशाही, और ओ’डायरशाही को मानवता, न्याय, और नेकी के आवरण में छिपा लेता है और इसमें भी अत्यंत दुःख की बात यह है कि अधिकांश अंग्रेज नहीं जानते कि इसमें उनके ही नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है। इससे भी बढ़कर करुणाजनक बात यह है कि सौम्य और ईश्वर भिरु अंग्रेजों के दिल में यह जॅचा दिया जाता है कि भारत में चैन की बंसी बज रही है कि जबकि दर हकीकत यहां करूण क्रंदन हो रहा है।

यदि जर्मनी और यूरोप के मध्यवर्ती राज्यों की शिकस्त ने जर्मनी रुपी संकट का अंत किया है, तो मित्र रास्तों की विजय ने एक नए संकट को जन्म दे दिया है , जो संसार की शांति के लिए उससे कम खतरनाक और घातक नहीं है । इसलिए मैं चाहता हूं कि हिंदुओं मुसलमानों की यह मित्रता एक स्थायी सत्य बन जाए और उसका आधार दोनों के प्रबुद्ध हितों की परस्पर स्वीकृति हो। तब जाकर वह घृणित सम्राज्य्वाद के लोहे को मानव धर्म के सोने में बदल सकेगी ।

हम चाहते हैं कि हिंदू मुस्लिम मित्रता भारत और सारे संसार के लिए एक मंगलमय वरदान बने, क्योंकि उसकी कल्पना के मूल में सबके लिए शांति और सद्भाव की भावना है । उसने भारत में सत्य और अहिंसा को अनिवार्य रूप से स्वराज्य प्राप्त करने का साधन स्वीकार किया है। उसका प्रतीक है चरखा, जो कि सादगी, स्वावलंबन , आत्मसंयम और करोड़ों लोगों में स्वेच्छा प्रेरित सहयोग का प्रतीक है । यदि ऐसी मैत्री संसार के लिए संकट रूप हो तो समझना चाहिए दुनियां में कोई ईश्वर है ही नहीं, अथवा यदि है तो वह कहीं गहरी नींद में सो रहा है ।

21 अगस्त 1924
स्रोत: संपूर्ण गांधी वांग्मय , खंड 25, पृष्ठ 20


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