— विनोद कोचर —
आरएसएस के हवा हवाई काल्पनिक मंसूबों वाले अखंड भारत का नक्शा नए संसद भवन में स्थापित करके, आरएसएस के प्रचारक रह चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो एकतरफा कदम उठाया है, उसके गंभीर दुष्परिणामों का एक ट्रेलर इस रूप में सामने आने लगा है कि इस हवा हवाई ‘अखंड भारत’ के नक्शे में जिस नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका जैसे देशों को भी ,उन्हें विश्वास में लिए बिना ही, शामिल कर लिया गया है, वे धीरे भारत की मित्रता त्याग कर भारत के शत्रुदेश चीन से मित्रता करने की दिशा में आगे बढ़ने लगे हैं और इस तरह, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।
पिछले 99 सालों से ही आरएसएस, संसद में लगाए गए नक्शे वाला जो हवा हवाई सपना देख रहा है उसके बारे में उसने आजतक, खासकर पिछले दस सालों से केंद्र की सत्ता पर मोदीमुखी भाजपा के शासन के दौरान, एक भी ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जो नक्शे में शामिल किए गए देशों में यह विश्वास पैदा कर सके कि कि वे चीन की बजाय भारत के साथ रहकर एक लोकतांत्रिक, सर्वधर्मसम्भावी, विविधता में एकतावादी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक माला में खुद को पिरो सकें।
आरएसएस के नेता राम माधव ने 2015में, ये बयान देकर अच्छा ही किया था कि :-
‘अखंड भारत(भारत+पाकिस्तान+बंगला देश) का निर्माण, बिना किसी जंग के,आपसी रजामंदी से मुमकिन है|’
उनका ये बयान अगर नेकनीयती से दिया गया होता तो इसकी तार्किक निष्पत्ति तो यही होनी चाहिए थी कि भारत में मोदी राज के दौरान,आरएसएस के नफरत फैलाऊ संस्कारों से संस्कारित अनेक भाजपाई नेता व मंत्रियों को,उनके पाकिस्तान और मुसलमान विरोधी बयानों के लिए दंडित किया जाना चाहिए था क्योंकि ऐसी साम्प्रदायिक और नफरत से लबरेज हरकतें,राम माधव के सन्दर्भित बयान का विरोध करती हैं और भारत पाकिस्तान-बांग्लादेश के एकीकरण की सम्भावना को दूर ढकेलती हैं| लेकिन देखा तो ये जा रहा है कि जिन्हें दंडित किया जाना चाहिए था उन्हें, दंडित करना तो दूर, उल्टे पुरस्कृत किया जा रहा है।
स्वयं मोदीमुखी भाजपा की केंद्र सरकार ने एनआरसी एवं सीएए जैसे कानून बनाकर भारतीय मुसलमानों की भारतीय नागरिकता पर कच्चे धागे में बंधी तलवार लटकाने के साथ साथ, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले शरणार्थियों में से केवल गैर मुस्लिम शरणार्थियों को अपनाने और मुस्लिम शरणार्थियों को वापस उनके देशों में खदेड़ने की अपनी उस नफरती मंशा को कानूनी जामा पहना दिया है जो आरएसएस के, ‘अखंड भारत’के सपनों का कट्टर विरोधी है।
ऐसे तथ्यों की रौशनी में अगर किसी को लगता हो कि राम माधव का बयान किसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के प्रोपेगेंडा का ही हिस्सा था,तो उसे गलत करार देना मुश्किल होगा|
वैसे हमारे,याने कि हम समाजवादियों के प्रेरणा स्रोत डॉ राममनोहर लोहिया चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान (जिसमे उनके जीवनकाल तक बांग्लादेश भी शामिल था) का महा गठबंधन बनाने की दिशा में सरकारी और सामाजिक प्रयास, गंभीरता पूर्वक, किये जाने चाहिए|
लोहियाजी,आरएसएस की तरह,खयाली पुलाव नहीं पकाते थे|वे तो,जो हो सकता है,जो व्यावहारिक,न्याय सम्मत और समता का दिशा सूचक है,उसी की बात करते थे|
आरएसएस के सपनों का अखंड भारत,आज के,अतीत के और वर्तमान के सन्दर्भ में ,खयाली पुलाव से अधिक और कुछ नहीं है|
राम माधव ने ये भी फरमाया था कि ‘भारत में
एक विशेष तरह की संस्कृति और सभ्यता का,एक विशेष तरह की जीवनशैली का पालन किया जाता है,जिसे आरएसएस “हिन्दू” कहता है,जिसमें किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।’
सवाल परेशानी का नहीं है|
सवाल है कि, क्या आरएसएस का ये कहना सही है कि भारत में एक विशेष तरह की संस्कृति,और सभ्यता है और यहाँ एक विशेष तरह की जीवनशैली का पालन किया जाता है जिसे वे ‘हिन्दू’ कहते हैं?
भारत तो वास्तव में विविधताओं में एकता वाला अनुपम देश है| यहाँ अनेक लिपियाँ हैं, भाषाएँ हैं, रहन-सहन हैं, खानपान हैं, रीति रिवाज हैं, वेशभूषाएं हैं!
जिस गोमांस सेवन के मुद्दे को लेकर अभी हाल के दिनों में आरएसएस वाले यहां तक कह चुके हैं कि ‘जिन्हें गोमांस खाना हो वे पाकिस्तान चले जाएं’,उसके बारे में आरएसएस वालों को मालूम तो होगा कि भारत की अनेक जातियों और समाजों में अपने आर्थिक-सामाजिक और भौगोलिक परिवेश के चलते गो मांस का सेवन किया जाता है|
केरल के नम्बूदरी ब्राहम्ण ही, बद्रीनाथ के मंदिर में, आद्य शंकराचार्य के समय से ही, पुजारी नियुक्त होते आए हैंऔर ये जानना दिलचस्प होगा कि यही नम्बूदरी ब्राहम्ण केरल में परंपरागत रूप से गोमांस का सेवन करते आएहैं| स्वयं,’हिंदू राष्ट्र’ की हिमायती,मोदी सरकार के राज में भारत बीफ का सबसे बड़ा निर्यातक देश बन चुका है|
और भी ऐसे अनेक तथ्य गिनाए जा सकते हैं जो राममाधव के, याने आरएसएस के ‘अखंड भारत’ वाले हिन्दूराष्ट्रवादी सपने की हत्या करने पर उतारू साबित होते हैं।
या
अखंड भारत का सपना साकार करने के लिए,’गोमांस खाने वाले पाकिस्तान चले जाएं’, ‘मोदी विरोधी लोग पाकिस्तान चले जाएं’, ‘बिहार मे भाजपा हारी तो पाकिस्तान में फटाके फूटेंगे’जैसे बयानों से आरएसएस को परहेज करना चाहिए था।
वर्ना दुष्यंत की जुबान में यही कहना होगा कि:-
दिल को बहला ले, इजाजत है मगर इतना न उड़!
रोज सपने देख लेकिन इस कदर प्यारे न देख!
घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख😢