— कैलाश रावत —
मधु लिमए जी पर लगा आरोप बिल्कुल गलत है कि उन्होंने जनता पार्टी को तोड़ने में भूमिका निभाई पार्टी तो शपथ वाले दिन ही टूट गई थी क्योंकि प्रधानमंत्री कौन होगा इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ समझौते हुए समीकरण बने और सौदेबाजी हुई ऐसी स्थितियां सोहादता को कब तक बनाए रखती मधु लिमए ने संसद का उपयोग गरीब दबे कुचले पिछड़े और अशिक्षित आदमी को ऊंचा उठाने के के लिए एक हथियार के रूप में किया मधु जी को संविधान और संवैधानिक नियमों का इतना ज्ञान था जब सदन में बोलते थे पूरी जानकारियां और संदर्भ के साथ नियमों का उल्लेख करते हुए सरकार को कटघरे में कई बार खड़ा कर देते थे कब कौन सा प्रश्न उठाना है जहां भी जाते और जहां समस्या देखते तो उसे सवाल के रूप में खड़ा कर देते थे मधु लिमए जी मूल रूप से महाराष्ट्र के थे लेकिन उन्होंने बिहार को अपना कार्य क्षेत्र चुना बा चुनाव लड़ कर विजय प्राप्त की बिहार के कई प्रमुख नेता कर्पूरी ठाकुर ललित नारायण मिश्रा महामाया प्रसाद रामानंद तिवारी आदि मधु जी से बिहार के मामले पर सलाह करते थे और अपना अभिमत भी उन्हीं के अनुसार बताते थे समाजवादी नेताओं के भी आदर्श कहे जा सकते हैं हिंदुस्तान की राजनीति के समग्र ज्ञाता मधु जी थे उनका रहन-सहन समान आदमी की तरह ही था कहीं कोई किसी तरह का आडंबर उनके जीवन दर्शन में नहीं था
मधु लिमए जी की सबसे बड़ी विशेषता ईमानदारी और नैतिक मूल्यों पर गहरी आस्था उनके समकालीन राजनेताओं की जमात से एकदम अलग विशेष स्थान पर खड़ा रखती है नैतिकता के प्रति उनका आग्रह इतना प्रबल था 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा का कार्यकाल 1 बरस बढ़ाया मधु लिमए जी लोकसभा सदस्य के रूप में जेल में बंद थे लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने श्लोक अस्पताल से अपील जारी कर इंदिरा गांधी सरकार के फैसले के विरुद्ध लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का अनुरोध सभी सांसद सदस्यों से किया जयप्रकाश नारायण की अपील पर मधु लिमए ने तत्काल लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा लोकसभा स्पीकर को भेज दिया उसी का अनुसरण करते हुए इंदौर जेल में बंद शरद यादव ने भी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया
महाराष्ट्र में जन्मे मधु लिमए जी मुंगेर संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव जीतकर संसद में पहुंचे मधु लिमए चुनाव के दौरान जानलेवा हमला किया गया और मधु लिमए अस्पताल में भर्ती हो गए चुनाव की कमान उनकी पत्नी श्रीमती चंपा लिमय के हाथ में थी राम मनोहर लोहिया ने मुगेर संसदीय क्षेत्र में कहा कि चंपा लिमये वोट मांगने आते हैं तब आप मधु जी के पक्ष में मतदान कीजिए उस समय बिहार के मुख्यमंत्री केबी सहाय थे उन्होंने मधु लिमए की पिताजी एवं परिवार के संबंध में कुछ टिप्पणियां की जिसका चंपा जी द्वारा चुनावी मुद्दा बनाकर चुनाव प्रचार किया परिणामस्वरूपसंसदीय क्षेत्र उपचुनाव में श्री मधु लिमए विजय हुए मधु लिमए जी एशियाई सोशलिस्ट के जनरल सेक्रेटरी थे उसका मुख्यालय रंगून बर्मा में था मधु लिमए जी की सोशलिस्ट आंदोलन में इंटरनेशनल छवि थी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से मतभेद के कारण माई के सवाल पर डॉ राम मनोहर लोहिया 1956 में हैदराबाद में अपनी सोशलिस्ट पार्टी बनाई
बिहार के बांका संसदीय मुंगेर संसदीय क्षेत्र से मधु लिमए लोकसभा के सदस्य रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवा मुक्ति आंदोलन के नायक महान सांसद चिंतक विचारक लेखक मधु जी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व सांसद के मिलने वाली पेंशन को नहीं दिया लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने राज्यसभा सदस्य बनना भी स्वीकार नहीं किया
मधु लिमए ने अपने चिंतन सिद्धांतों की व्याख्या से समाजवादी संगठन को एक बौद्धिक गरिमा प्रदान की देश के इतिहास में और ऐतिहासिक घटनाओं की व्याख्या से अधिक उसके चिंतन में आधुनिक और सम घटनाएंओ को विवेचक और विश्लेषक करते हैं उनको एकेडमिक गरिमा प्रदान करते हैं उनकी तीन पुस्तकें महत्वपूर्ण है
डॉ राम मनोहर लोहिया के समाजवादी आंदोलन कि जो प्रखरता थी वह धूमल पड़ने लगी मधु लिमए जैसे चिंतकों की चिंता इस बात में थी समाजवादी भी अपने विचार और कर्म में रणनीतियों वाली एक पार्टी बने तथा समाजवाद को मूर्त रूप मिल सके
समाजवादी आंदोलन के दृष्टा डॉ राम मनोहर लोहिया जी जन आंदोलन के रूप में उसको सक्रियता प्रदान करने वाले लोकबंधु राजनारायण से इस व्यापक जन आंदोलन को देश की संसद में बहस का मुद्दा बनाने वाले मधु लिमए थे लोकबंधु राजनारायण जी मधु जी डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के दाएं बाएं हाथ से जब तक इन दोनों पक्षों का संतुलन बना रहा समाजवादी आंदोलन जीवित रहा
मधु लिमए जी केवल सड़क की राजनीति नेता नहीं थे वे स्वयं बड़े प्रबुद्ध थे इसके इतिहास उसकी संस्कृति उसके धरम उसकी परंपरा के पारखी थे जहां एक और वह जेल बोट और फावड़ा के समर्थक थे उस व्यापक मानवीय संस्कृति के अधि दिष्ठा थे जिसके बौद्धिक चेतना के साथ-साथ कविता कला संगीत स्थापित विषयों कि सही समझदारी थी हिंदी अंग्रेजी संस्कृत साहित्य कई भाषाओं पर उनका एकाधिकार था रामायण महाभारत नित्य साहित्य के ज्ञाता नृत्यांगना सोनल मानसिंह से नजदीकी हुआ करती थी शतरंज के शॉपिंग मधु जी अपने बेटे अनुज के साथ फुर्सत के क्षणों में शतरंज खेला करते थे
मधु लिमए जी के बाद समाजवादी नेता समाजवादी आंदोलन टुकड़ों टुकड़ों बंट गया में आज के दिन इक्का-दुक्का नेताअपने-अपने सर्वार्थ लक्ष्यों के लिए मधु लिमए जी के नाम का इस्तेमाल करने लगे हैं इस प्रकार की घटनाएं मंदिर मठों में हुआ करते थी जहां महंत के मरने के बाद प्रत्येक शिष्य अपनी तरह से अपने गुरु की बात को तोड़ने मरोड़ने भी लगे जिस क्षण मधु लिमए अपनी पलकें बंद की उसी क्षण से समाजवादियों में खींचतान शुरू हो गई किसी राजनीतिक पार्टी में प्राय ऐसी घटनाएं नहीं होती
यह भारत देश का दुर्भाग्य की मठों की यह उत्तराधिकार की लड़ाई समाजवादी आंदोलन में आ गई और सोशलिस्ट समाजवादी आंदोलन टुकड़ों टुकड़ों में बिखर कर लगभग समाप्त हो रहा है समाजवादी आंदोलन के आधार स्तंभ सम्मानीय स्वर्गीय श्री मधु लिमए जी की 101वी जन्म जयंती के अवसर पर मधु जी को शत शत नमन!