— चंद्रशेखर जोशी —
यह फोटो समाजवादी नेता मधु लिमये और उनकी पत्नी प्रोफेसर चंपा गुप्ते की है। इन दोनों के जीवन के हजारों किस्से हैं, कुछ घटनाएं ऐसी हैं। लिमये बेहद इमानदार और संघर्षशील नेता थे। पूना में जन्मे लिमये अंग्रेजों और पुर्तगालियों के खिलाफ लड़ते रहे। एक घटना के बाद इनकी टोली मौका पाते ही आरएसएस के सघियों को मार- खदेड़ाती थी।
…असल में हुआ ऐसा कि लिमये 1937 में पूना में अपने 15वें जन्मदिन पर मई दिवस के जुलूस में शामिल हुए। इस जुलूस पर आरएसएस के स्वयंसेवकों ने हमला कर दिया। हमले में जुलूस के नेता सेनापति बापट और एसएम जोशी बुरी तरह घायल हो गए। लिमये के जीवन की यह पहली राजनीतिक घटना थी। बाद में लिमये कई समाजवादी विचारकों के करीब आए। कुछ बैठकों और भाषणों से उन्हें समझ आया कि आरएसएस कार्यकर्ता भारत में अंग्रेजों की दलाली करते हैं और पूना उपनिवेश में पुर्तगालियों के लिए मुखबिरी करते हैं। कहा जाता है कि लिमये जब छात्र राजनीति में सक्रिय हुए तो महाराष्ट्र के डिग्री कालेजों से आरएसएस का सफाया हो गया। लिमये टीम की मार से आरएसएस के इमानदार कार्यकर्ता तो देशभक्त हो गए और दलाल भाग गए।
…आरएसएस गोवा में पुर्तगालियों के उपनिवेश का समर्थक था, जबकि समाजवादी पुर्तगाल के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन कर रहे थे। गोवा मुक्ति आंदोलनकारियों पर पुर्तगाली पुलिस और संघी मिलकर हिंसक हमले करते रहे। इस हिंसा में बड़े पैमाने पर लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। पुर्तगाल का उपनिवेश छिनता देख 1955 में लिमये गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें 12 साल की सजा हुई। खास बात यह थी कि लिमये जब भी गिरफ्तार होते या जेलों में सजा काटते तो वह कभी भी बचाव की कोशश नहीं करते और ना ही सख्त सजा के खिलाफ न्यायालय में अपील करते।
…आजाद भारत में वह 1958 में सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष बने। लिमये इतने प्रखर वक्ता थे कि मराठी होने के बाद भी वह चार बार बिहार से सांसद चुने गए। संसद में उनको सुनने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी प्रतिनिधि मौन बैठे रहते।
…वह भारतीय संविधान के जानकार थे। एक बार इंदिरा गांधी सरकार में बजट सत्र के दौरान मनी बिल पेश नहीं हो पाया। तब लिमये ने बताया कि आज रात 12 बजे के बाद सरकार के सारे काम ठप हो जाएंगे, लेन-देन बंद हो जाएगा। जानकारों से राय मशविरा किया तो सरकार में हड़कंप मच गया। स्पीकर ने रेडियो से संदश प्रसारित कर रात 12 बजे से पहले सभी संसद सदस्यों को फिर बुलाकर सदन की कार्यवाही शुरू की।
…उन्होंने सांसद और विधायक पेंशन का हमेशा विरोध किया। अपनी पत्नी से भी कहा कि मेरी मौत के बाद कभी पेंशन न लेना। पत्नी उनके हर संघर्ष में साथ रहती थीं। उन्होंने पति के सांसद न रहने पर खुद ही सरकारी क्वार्टर खाली कर सामान सड़क किनारे रख दिया। घरेलू सामान के साथ वाहन का इंतजार करती इस महिला की फोटो उस जमाने में अखबारों की सुर्खियां बनीं। मधु लिमये की सादगी का आलम यह था कि उनके घर में न तो कूलर था न हीटर और न ही कोई वाहन। वह हमेशा ऑटो या बस से चला करते थे। उन्होंने 100 से अधिक किताबें लिखीं, संगीत के जानकार थे, खेलों में बेहद रुचि रखते थे। सामाजिक व्यस्तता के कारण पति-पत्नी अधिकतर खिचड़ी बना कर खाया करते थे।
…इस दंपति के लाखों चर्चे, कभी देश के गद्दारों पर तो कभी सरकार पर बरसे…
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