कार्ल मार्क्स से डॉ.राममनोहर लोहिया ने सीखा

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— विश्वजीत सिंह —

डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि : “मैं यहाँ यह भी बता देना चाहता हूँ कि मार्क्सवाद की किस बात ने मुझे आकर्षित किया है?

युवावस्था में मैं उसकी कुछ और बातों से भी मोहित रहा हूँगा लेकिन आज जिस एक चीज ने मुझे मोहित किया है वह है ….

“संपत्ति के मोह का त्याग…”

उन्होंने कहा कि जिस किसी ने भी इस विचारधारा का ठीक अध्ययन किया और इसे अपनाया उसके मन से संपत्ति का मोह दूर होगा…

आगे उन्होंने कहा कि यह बहुत आकर्षक पहलू है जो एक धार्मिक व्यक्ति को भी आकर्षित करती है। इसे अपरिग्रह या वैराग्य के क्षेत्र का अभ्यास भी कहा जा सकता है। संभव है, मार्क्सवाद में निष्णात और उसमें गहरी आस्था रखने वाला व्यक्ति अन्य क्षेत्रों में शैतान हो, वह धोखेबाज हो सकता है, झूठ बोल सकता है, फूहड़ अनगढ़ आचरण वाला हो सकता है, पाखंडी हो सकता है, झूठ बोल सकता है, हत्या भी कर सकता है लेकिन निजी संपत्ति का मोह उसमें नहीं होगा और यह बहुत बड़ी विशेषता है। मार्क्सवाद ने हमें धन से नफरत करना सिखाया खासकर उससे जो दूसरे व्यक्ति को नौकर बनाए। मैं इतिहास की पृष्ठभूमि में इसे मार्क्सवाद की सबसे बड़ी उपलब्धि कहूँगा कि उसने आदमी को बिना किसी आत्मानुशासन या मनःस्थिति की साधना के संपत्ति के मोह से मुक्त किया…”

डॉ. लोहिया ने कहा कि मार्क्सवाद नचिकेता है जो सहज भाव से स्वर्ण का तिरस्कार करता है। यह विचारधारा, कविता, सौंदर्य, राजसत्ता आदि का तिरस्कार भले ही न कर सके और कौन चाहेगा कि वह ऐसा करे, किंतु इस बात में कोई संदेह नहीं कि वह स्वर्ण का तिरस्कार करता है। यह इस विचारधारा का आकर्षण है “

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