— प्रो. (डॉ.) राहुल पटेल —
“बाबा” के सपनवा के कइसे पूरा करबा,
जबतक अपसई में लड़बा।
भारत के जतियन के कइसे हक़ देवइबा,
जबतक “जात-पात” करबा।
देसवा के बहिनियन के कइसे जय करइबा,
जब “गिद्ध” बनि जाबा।
आपन अधिकरवा कइसे तू समझबा,
जबतक “वोट-बैंक” रहबा।
बाबा के सलहिया के कइसे मान रखबा,
जबतक “शिक्षित” न होइबा।
“इंडिया” के नमवा के “भारत” कइसे करबा,
जे ‘संविधनवा’ न पूजबा।
“संविधनवा” के लजिया कइसे तू रखबा,
अगर “भारतीय” न बनबा।।
“अम्बेडकर” के सपनवा के कइसे पूरा करबा,
जे तू ‘मानुष’ न होइबा।