लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के संयोजक आनंद कुमार ने तुषार गांधी के नेतृत्व में चल रहे ‘बदलो बिहार – लाओ नई सरकार’ यात्रा के पहले चरण में तुरकौलिया (पूर्वी चम्पारण) की एक सभा में तुषार गांधी एवं यात्रियों के साथ संघी मिजाज के एक मुखिया द्वारा किए गए अशिष्ट बर्ताव की तीखी निंदा की है। लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के नेतृत्व ने बिहार के मुख्यमंत्री से भी कुछ तीखे सवाल किए हैं। चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के वक्त नीतीश कुमार ने बिहार में संपन्न विशेष समारोह में तुषार गांधी को मुख्य अतिथि बनाकर बुलाया था। आज उसी बिहार में उसी नीतीश कुमार के शासनकाल में नीतीश सरकार का एक अदना मुखिया तुषार गांधी को सभा में बोलने से रोक रहा है। यह नीतीश कुमार की गांधी के प्रति कैसी प्रतिबद्धता है। यह नीतीश कुमार का कैसा सुशासन है।
चंपारण का तुरकौलिया एक ऐतिहासिक जगह है। तुरकौलिया नील उत्पादन का एक बड़ा केंद्र था। नील किसानों पर अत्याचार का भी एक कुख्यात केन्द्र था। यहां एक नीम के पेड़ पर बांधकर या लटका कर किसानों को पीटा जाता था। जब गांधी चंपारण आए तो इस नीम के पेड़ के नीचे उन्होंने किसानों की बैठक की थी, उनके दुखड़े सुने थे। आज भी वह नीम पेड़ ठूंठ के रूप में खड़ा है। उसकी याद में दो-तीन नीम के पेड़ लगे हुए हैं और एक कनेर का गाछ भी उग आया है। भितिहरवा से 12 तारीख को शुरू हुई यह यात्रा 13 की सुबह तुरकौलिया पहुंची थी। वहां स्थापित गांधी की मूर्ति पर और थोड़ी दूर स्थित नीम के वृक्ष की जगह पर पुष्पांजलि दी गई और नारे लगाए गए। स्थानीय पंचायत भवन में पंचायत के मुखिया के संचालन में सभा की शुरुआत हुई। सभा के आरंभ में मुखिया ने अपने आरंभिक वक्तव्य में वर्तमान केंद्रीय और बिहार सरकार की सराहना भी की। उसके बाद तुषार गांधी के साथ चल रहे पुराने समाजवादी साथी विजय प्रताप ने स्थितियों का विश्लेषण करते हुए बिहार बदलने की और नीतीश सरकार को आगामी चुनाव में हटाने की जरूरत बताई। उन्होंने मोदी सरकार की अडानी अंबानी परस्ती का जिक्र किया। हाल के दिनों में पूरी तरह उजागर ट्रंप परस्ती का भी उल्लेख किया। अगली बारी किसान नेता सुनीलम के बोलने की थी। उस के पहले ही संचालन कर रहे मुखिया ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया। यहां गांधी के नाम पर राजनीति नहीं करने देंगे। तुषार गांधी पर आरोप मढ़ा कि वे गांधी के वारिस नहीं । इस तरह के बोल बोलते हुए पंचायत भवन से बाहर जाने को कहा। स्थानीय श्रोताओं ने मुखिया से प्रतिवाद भी किया और कहा कि वे तुषार गांधी को सुनना चाहते हैं। पंचायत भवन के ठीक बाहर तीखी धूप में एक संक्षिप्त सभा हुई, जिसे सुनीलम और तुषार गांधी ने सम्बोधित किया। थोड़ी दूर तक एक जुलूस चला। एक दुकान के ऊपर हॉल में प्रेस सम्मेलन भी हुआ। इस यात्रा में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के सहसंयोजक और राष्ट्रीय कोर कमिटी के सदस्य मंथन और कारू भी सहयात्री के रूप में शामिल थे।
लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के संयोजक आनंद कुमार ने बदलो बिहार नई सरकार यात्रा के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए कहा बताया कि यह यात्रा तुरकौलिया के बाद पूरे जोश खरोश के साथ जसौली पट्टी, मोतिहारी, दरभंगा, सुपौल, कोसी तटबंध क्षेत्र, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, भागलपुर के इलाकों में जगह-जगह संपर्क करने निकल पड़ी है। इस यात्रा को स्थानीय संघर्षशील संगठनों का साथ मिल रहा है। यात्रा में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में लगातार बातें हो रही हैं। फार्म भरा लेने के बड़बोले दावों की जमीनी असलियत भी जानी जा रही है।
आनंद कुमार ने भीतिहरवा से बीहपुर(भागलपुर) तक की इस यात्रा को अपना अभिनन्दन दिया है। तुषार गांधी और उनके साथ इस अभियान को सफल बनाने में लगे गुड्डी, शाहिद कमाल, अलाउद्दीन, सुनीलम, विजय प्रताप, कुमार चन्द्र मार्डी, अभिषेक प्रियदर्शी, पंकज, मृत्युंजय, ऋषिकेश, टीपू सुल्तान, कुंदन, अफजल, महेन्द्र यादव, राम बाबु आर्य, आशीष, कामायनी, उदय, गौतम, रामशरण और अन्य सारे साथियों के प्रति लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान की ओर से अपना सम्मान , अपनी आत्मीय एकजुटता जाहिर की है।
– आनंद कुमार
संयोजक, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान
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