अलविदा ‘गुरूजी’ शीबू सोरेन!

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Shibu Soren

बिहार और झारखंड में ‘गुरूजी’ के नाम से विख्यात शीबू सोरेन का निधन जनांदोलनों के गर्भ से उपजे कद्दावर जमीनी नेतृत्व की एक ऐसी शख्सियत का गुजर जाना है, जिसकी रिक्तता का बोध भारतीय राजनीति में महसूस किया जाता रहेगा। तेरह वर्ष की उम्र में साहूकारों ने पिता की हत्या कर दी और शीबू सोरेन साहूकारी प्रथा के विरुद्ध विद्रोही चेतना से अनुप्राणित संघर्षों से होकर आदिवासी जननायकत्व की ओर अग्रसर हो गये। बंगलादेश मुक्ति संघर्ष के बाद वह‌ आदिवासी अस्मिता के झारखंड आन्दोलन के प्रवर्तक सूत्रधार एवं करीब चार दशक पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष बने।

इस आन्दोलन ने जहां नये राज्य झारखंड की स्थापना को अपरिहार्य बना दिया, वहां गुरूजी का महत्व आदिवासी समाज के एक कद्दावर नेता के रूप में राष्ट्रीय राजनीति में भी उभरा। शीबू सोरेन के निधन के बाद कांग्रेस ने केचुआ के खिलाफ प्रदर्शनों को जहां सम्प्रति स्थगित कर दिया है, वहीं पांच अगस्त को झारखंड स्थित उनके गांव में स्व.सोरेन के अंतिम संस्कार में नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी और कांग्रेस प्रेसिडेंट श्री मल्लिकार्जुन खड़गे भी शरीक होंगे।

शीबू सोरेन के निधन पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि।


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