‘एक कदम गांधी के साथ’ पदयात्रा

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'One Step with Gandhi' Walk

“यमुना मथुरा और वृंदावन की जीवनधारा है, इसे हमें संरक्षित करना होगा।” – अरविंद कुशवाहा

2 अक्टूबर को राजघाट, बनारस से संविधान, लोकतंत्र, सद्भावना और बंधुत्व का संदेश लेकर आरम्भ हुई ‘एक कदम गांधी के साथ’ पदयात्रा अपने 49वें दिन अग्रवाल धर्मशाला से आगे बढ़कर भारत के पहले पॉलिटेक्निक कॉलेज प्रेम महाविद्यालय पहुँची। इसकी स्थापना राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने करवाई थी, जो सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी थे। अपने वैश्विक कार्यों के लिए उन्हें 1932 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी महाविद्यालयों के दौरे पर थे और 19 अप्रैल 1915 को वे प्रेम महाविद्यालय, वृंदावन पहुँचे थे। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदनपाल और एक कदम गांधी के साथ पदयात्रा के संयोजक राम धीरज ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह की प्रतिमा पर सुत माल्यार्पण किया।

राम धीरज ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज प्रेम महाविद्यालय की स्थिति बहुत जर्जर हो चुकी है, जो हमारे और समाज के लिए अत्यंत गंभीर बात है। वृंदावन के सामाजिक कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय बुद्धिजीवियों को इस महाविद्यालय को पुनर्जीवित करना होगा ताकि आज़ादी की इस धरोहर को बचाया जा सके। आज यात्रा में शामिल होने वाले क्षेत्रीय साथी थे- दीपक पाराशर और चंद्रमोहन।

इसके बाद यात्रा यमुना घाट पहुँची, जहाँ नंदलाल मास्टर ने “नदी तू बहती रहना” गीत प्रस्तुत किया। सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाहा ने कहा कि वृंदावन और मथुरा की जीवनरेखा यमुना है और हमें इसे बचाना होगा। जिस तरह की सावधानी, सतर्कता और गंभीरता से संत, समाज और सरकार को यमुना के बारे में सोचना चाहिए था, उसमें ये तीनों पूर्णतः विफल रहे हैं। पंचमहाभूतों को संरक्षित करने की जिम्मेदारी इन्हीं तीनों की है। सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की, और इसी कारण संत और समाज भी अपने दायित्व के प्रति उदासीन हो गए हैं।

आगे यात्रा प्रेम मंदिर से होती हुई गीतों और नारों के साथ चौमुहां पहुँची। मुख्य चौराहे पर लोगों को यात्रा के बारे में जानकारी दी गई, पर्चे बाँटे गए और गीत प्रस्तुत किया गया। आज का रात्रि विश्राम चौमुहां में है।

यात्रा में शामिल प्रमुख प्रतिभागी:

चंदन पाल, रामधीरज, अरविंद अंजुम, भूपेश भूषण, सोमनाथ रोड़े, सतीश मराठा, आसमा, विद्याधर मास्टर, श्यामधर तिवारी, जगदीश कुमार, विकास, मानिकचंद, जोखन यादव, सरिता बहन, सिस्टर फ्लोरीन, अलीभा, अंतर्यामी बराल, सौरभ, सूरयोगी, निधि, विवेक मिश्र, बृजेश, टैन, सचिन, प्रवीण, आंचल, संध्या, श्रीनिवासन, विष्णु कुमार, संजना, नीरज, प्रियेश, विवेक यादव, अनीता, आशा राय, मनीषा, आशा रानी, बेबी, सीमा, नीलम, मैनव, सुनील मास्टर, विपिन, रमाकांत, अनु, रेवा, बजरंग भाई, ऋषभ, शिवधर, बी.आर. पाटिल, बीरेंद्र, रुनझुन, पुटू।


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