सिटीजन्स फॉर डेमोक्रेसी का पूरे दिन का एक राष्ट्रीय सेमिनार

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A full day national seminar by Citizens for Democracy

सिटीजन्स फॉर डेमोक्रेसी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद एकेडमी ने मिलकर 27 नवंबर (गुरुवार) को राजेंद्र भवन, नई दिल्ली, में पूरे दिन का एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया। इसमें देश के अलग-अलग संगठनों के 75 से ज़्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रमुखतः लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, पी यू सी एल , सर्व सेवा संघ, समाजवादी समागम शामिल थे। सेमिनार के प्रतिभागियों के सामने सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी की ओर से महासचिव शशि शेखर सिंह के द्वारा निम्न मुद्दे रखे गए:

1. चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त सहित अन्य आयुक्तों को चुनने वाले पैनल पर बने कानून को रद्द करना
2. देश भर में विशेष गहन पुनरीक्षण ( एस आई आर) के पीछे की गलत सोच का विरोध करना
3. विवादित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम में पारदर्शिता या पेपर बैलेट की जरूरत

प्रतिभागियों को संबोधित करने के लिए 3 मुख्य स्पीकर थे – पहले सेशन में श्री योगेंद्र यादव, राजनीतिक एक्टिविस्ट और एनालिस्ट, मेजर जनरल अनिल वर्मा (रिटायर्ड), एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( ए डी आर) के हेड और दूसरे सेशन में श्री अंशुल अभिजीत, वकील और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ।

पहले सेशन की अध्यक्षता डॉ. राजेंद्र प्रसाद एकेडमी के डायरेक्टर डॉ. अनिल मिश्रा ने की। सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी के महासचिव शशि शेखर सिंह ने देश भर से आए प्रतिभागियों का शुरुआत में स्वागत किया । यह सेमिनार डेमोक्रेटिक सुधारों के लिए जीवन भर लड़ने वाले स्वर्गीय प्रो. जगदीप छोकर तथा सोशलिस्टों की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत रहे स्वर्गीय वरिष्ठ सोशलिस्ट विचारक सच्चिदानंद सिन्हा को समर्पित था । सेमिनार में स्वर्गीय प्रोफेसर जगदीप छोकर, स्वर्गीय सच्चिदानंद सिन्हा तथा सोशलिस्ट सिद्धांतकार और जाने-माने शिक्षाविद स्वर्गीय प्रो. सतीश जैन को एक मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई ।
बहस का माहौल बनाते हुए, श्री योगेंद्र यादव ने कहा कि मौजूदा सरकार के तहत चुनाव सुधारों का संदर्भ बदल गया है। चुनाव सुधारों पर सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी की जस्टिस तारकुंडे कमेटी की रिपोर्ट समेत कई रिपोर्ट्स आई हैं, जिनका आधार यह था कि डेमोक्रेसी अभी भी अधूरी है और इसमें सुधार की गुंजाइश है।

उन्होंने तीन तरह के चुनाव सुधार : व्यवस्था से संबंधित, संस्थानों से संबंधित और कार्यप्रणाली से संबंधित का विस्तार से विश्लेषण किया । उन्होंने कहा कि आज तो लोकतांत्रिक व्यवस्था ही खतरे में है; चुनाव आयोग के गठन की प्रक्रिया ने ही चुनाव आयोग की निष्पक्षता को सवालों के घेरे में ला दिया है , उन्होंने जोर देकर कहा कि एस आई आर का विरोध किया जाना चाहिए, क्योंकि इसका मकसद नागरिकता और राजनीतिक माहौल को हमेशा के लिए बदलने का है जिससे चुनाव बेमतलब हो जाएंगे। योगेंद्र यादव ने कहा, हम तानाशाही के स्मार्ट युग में जी रहे हैं और आज लोकतंत्र नहीं है। आनुपातिक प्रतिनिधित्व वगैरह जैसे संस्थागत सुधार तभी अर्थपूर्ण बनेंगे जब हम अपने लोकतंत्र को बचा सकेंगे। कार्यप्रणाली से संबंधित सुधार में इलेक्टोरल रोल तैयार करना, इलेक्शन का शेड्यूल बनाना, इलेक्ट्रानिक वोट व्यवस्था , धनशक्ति और बलशक्ति शामिल हैं। इन सभी से लोगों को निपटना होगा।

मेजर-जनरल वर्मा ने अपने प्रेजेंटेशन में प्रतिभागियों को लोकतंत्र बचाने में ए डी आर की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने इलेक्शन कमीशन की आज़ादी और इलेक्शन की पवित्रता बनाए रखने के लिए ए डी आर की कोशिशों पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि रूलिंग पार्टी कानूनी तौर पर काम करती है, बिल लाती है, उसे पार्लियामेंट में मंज़ूरी दिलाती है और एक्ट बनाती है। उन्होंने कई उदाहरण दिए और कहा कि चुनाव सुधार के लिए एकमात्र रास्ता कोर्ट जाना है। लेकिन वहां चीजें वैसी नहीं होतीं जैसा हम चाहते हैं। एडवोकेट मोहम्मद प्राचा का हवाला देते हुए ए डी आर हेड ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 538 चुनाव क्षेत्र ऐसे थे जहां वोटों की गिनती के आंकड़े डाले गए कुल वोट से मेल नहीं खाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि पॉलिटिकल फंडिंग ,बाहुबल और धनशक्ति से एक तरह की एकाधिकार स्थापित होती है। पॉलिटिकल पार्टियों के अंदर आंतरिक लोकतंत्र भी एक ज़रूरी मुद्दा है जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चिंता का विषय भी है।

ए डी आर हेड ने कहा कि उनकी सारी कोशिशों के बावजूद लोग इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इस मामले में उन्होंने कहा कि लोगों का नज़रिया बदलना ज़रूरी मुद्दा है।

सवाल-जवाब सेशन के दौरान सर्वश्री राम शरण , पंकज , अरुण श्रीवास्तव, मंथन , मणिमाला , दीपक ढोलकिया , रामधीरज, जागृति राही, डॉक्टर हरीश खन्ना, प्रोफेसर प्रेम सिंह, सतीश पावर, सुशील खन्ना आदि ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं कराने के लिए चुनाव आयोग को उत्तरदाई ठहराया और सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे ।

सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी के पूर्व अध्यक्ष श्री एस. आर. हीरेमठ ने दूसरे सेशन की अध्यक्षता की। उन्होंने एक्शन प्लान बनाने का महत्व बताया और कहा कि सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी की स्थापना करने वाले जय प्रकाश नारायण चुनाव सुधारों के बहुत बड़े पक्षधर थे।

दूसरे सेशन के स्पीकर अंशुल अभिजीत ने अपने नाना बाबू जगजीवन राम के द्वारा संविधान सभा में दिए भाषण का उल्लेख करते हुए वोट के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने का ज़िक्र किया। बिहार के चुनाव के अपने अनुभव का उल्लेख करते हुए उन्होंने वहां मतदान में जाति और धर्म के बुरे प्रभाव की विस्तार से चर्चा की।

देश के कोने कोने से आए प्रतिभागियों ने चर्चा को बढ़ाते हुए यह मांग की कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र बनाने के लिए वर्तमान चयन की प्रक्रिया संबंधित कानून को रद्द कर आयुक्तों के चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पुनः शामिल करने के लिए नए कानून बनाने पर बल दिया। विशेष गहन पुनरीक्षण को तत्काल रोकने की मांग चुनाव आयोग से की क्योंकि यह नागरिकों के मताधिकार छीनकर लोकतंत्र विरोधी कार्य कर रहा है । इसके लिए सेमिनार में चुनाव आयोग का घेराव करने की मांग हुई।

सेमिनार में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी के महासचिव शशि शेखर सिंह की अध्यक्षता में एक एक्शन कमिटी भी बनाई गयी जो देश के अन्य समविचारी नागरिक संगठनों से बात कर चुनाव सुधार पर एक्शन आयोजित करेगा। सेमिनार में चुनाव आयोग के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय किया गया, साथ ही चुनाव आयोग को और राष्ट्रपति को चुनाव आयोग के गलत नीतियों के खिलाफ मेल करने का फैसला हुआ। सेमिनार में चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य के दवाब में कई राज्यों में आत्महत्या करने वाले बूथ लेवल अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई ।

सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी की दिल्ली चैप्टर की अध्यक्षा प्रोफेसर अरविंदर अंसारी सेमिनार में मौजूद थी । सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी के अध्यक्ष प्रो आनंद कुमार ने अपने संदेश में सभी को शुक्रिया कहा।अंत में सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी की दिल्ली चैप्टर की महासचिव ज्योत्सना राय ने सभी प्रतिभागियों को सेमिनार में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

शशि शेखर सिंह
महासचिव, सिटीजंस फॉर डेमोक्रेसी


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