बहस चलती रही बिहार में SIR हो गया। जिंदा लोग मार दिए गए। मरे जिंदा हो गए। चुनाव हो गए। कई असली मतदाता वोट नहीं डाल पाए। कई नकली वोट डाल गए। वोट डालने दिल्ली से॓ आए, यूपी,हरियाणा और गुजरात से आए। हवाई जहाज से आए। ट्रेन भर भर के आए। लाए गए। वोट डाल वापस गए। रिजल्ट आ गया, सरकार भी आ गई। नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला।
ऐसे ही बहसें चलती रहेंगी, कभी संघवी तो कभी सिब्बल बहस करते रहेंगे, BLOs मरते रहेंगे, दलित/आदिवासी/मुसलमान/मजदूर/किसान के वोट कटते रहेंगे, एक-एक मकान में हज़ार-दो हज़ार मनमाफिक वोट जोड़े जाते रहेंगे, चुनाव के नाम पर वोट मैनेजमेंट होता रहेगा, सत्तारूढ़ पार्टी की मनमुताबिक सरकारें बनती रहेंगी….जब हर प्रदेश में SIR/चुनाव हो चुका होगा तब कोर्ट का फैसला आएगा।
अब कुछ भी आए। SIR सही था तो केंचुआ/सरकार अपनी पीठ थपथपाएंगे। गलत/असंवैधानिक कह दिया तो? क्या होगा? वही होगा जो इलेक्ट्रोलर बांड का हुआ था। क्या पार्टियों को बांड के जरिए जमा पैसे वापस करने को कहा गया था? क्या बांड के जरिए रिश्वत लेकर जिन्हें ED/CBI/IT ने क्लीन चिट दी थी या जांच रोक या खत्म कर दी थी, उनपर जांच फिर बिठाई गई थी या फिर से जारी रही? नहीं न! बांड के जरिए रिश्वत देने वाले पाक-साफ ही बने रहें और सत्तारूढ पार्टी रिश्वत लेकर राजा पार्टी ही बनी रही। अब अगर सब कुछ हो जाने पर फैसला आये भी कि यह सब असंवैधानिक था तो क्या SIR निरस्त होगी? BLOs जो इस प्रक्रिया में जान गवां बैठे वे वापस आएंगे?
मतदाता सूचि निरस्त कर फिर बनाई जाएगी? इस दरम्यान जहां जहां सरकारें बन चुकी होंगी वे सब निरस्त होंगी? ये सरकारें जो फैसलें ले चुकी होंगी वे सारे के सारे निरस्त होंगे? नहीं न? तो? फैसले की मज़बूरी होगी कि वह थोड़ी बहुत डांट-फटकार के साथ जो हो गया सो हो गया यानी सरकार के पक्ष में ही आना है। या फैसले का कोई मतलब नहीं होना है।
CJI कोई भी हो हमारी न्याय व्यवस्था को घुमाना, खींचना, लटकाना, डांटना-फटकारना तो खूब आता है सिर्फ फैसला देना नहीं आता, न्याय करना नहीं आता है। या करना ही नहीं चाहती।
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