2050 तक गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जलस्तर में हो सकती है वृद्धि – आईपीसीसी रिपोर्ट

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1 मार्च। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि 2050 और 2100 तक गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो सकती है। अनुमान है कि जहां तेजी से पिघलती बर्फ सिंधु के प्रवाह में वृद्धि कर सकती है वहीं गंगा और ब्रह्मपुत्र में भारी बारिश की वजह से ऐसा होने की सम्भावना है। गौरतलब है कि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र उन प्रमुख नदियों में से हैं जो भारत सहित दक्षिण एशिया की एक बड़ी आबादी की जल सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करती हैं।

नदी का अपवाह या प्रवाह उस जल को संदर्भित करता है जो वर्षा, बर्फ के पिघलने, और भूजल जैसे स्रोतों से नदियों की जलप्रणाली में आता है। रिपोर्ट की मानें तो 2050 तक इन नदियों के अपवाह में 3 से 27 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। यदि सिंधु नदी को देखें तो इसके प्रवाह में 7 से 12 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है जबकि गंगा में 10 से 27 फीसद और ब्रह्मपुत्र में 3 से 8 फीसद की वृद्धि का अनुमान है। इसके लिए कहीं न कहीं जलवायु में आता बदलाव ही जिम्मेवार है।

गंगा के प्रवाह में हो सकती है 33 फीसदी की वृद्धि

इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी सम्भावना जताई गयी है कि भविष्य में बारिश की अनिश्चितता के चलते ऊपरी सिंधु बेसिन क्षेत्र में लम्बी अवधि के दौरान जल उपलब्धता की क्या स्थिति होगी उस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

सदी के अंत तक जलवायु परिवर्तन के आरसीपी 4.5 और 8.5 परिदृश्यों के तहत ब्रह्मपुत्र के अपवाह में 16 फीसदी, गंगा में 33 फीसदी और मेघना के अपवाह में 40 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक अपवाह में परिवर्तन शुष्क मौसम की तुलना में बारिश के दौरान कहीं ज्यादा होने की सम्भावना है।

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