25 मार्च। स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव अविक साहा और प्रदेश अध्यक्ष प्रो. संजीव मुखर्जी, जय किसान आंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष प्रबीर मिश्रा, अखिल भारतीय श्रमिक स्वराज केंद्र के राज्य संयोजक राम बच्चन, पश्चिम बंगाल मिड-डे मील कुक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अमिताभ मित्रा और महिला स्वराज की प्रदेश अध्यक्ष सूफिया खातून अली ने इमरान रमज़, कुणाल देब, पीयूष रॉय, प्रदीप चटर्जी, सुदीप बनर्जी, अनिंद्य सरकार, नौशाद आलम, बीरेन महतो, जॉयदेव मुखर्जी और प्रोसेनजीत बोस के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई नृशंस हत्या पर एक संयुक्त बयान जारी किया।
संयुक्त बयान कहता है :
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आज 21-22 मार्च को बोगतुई गांव में हुई नृशंस हत्याओं से संबंधित मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी जांच का मखौल है जैसा कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद ही तृणमूल कांग्रेस के प्रखंड अध्यक्ष अनारुल हुसैन की गिरफ्तारी के बाद स्पष्ट हुआ। हालांकि सवाल यह है कि क्या सीबीआई भी बिना किसी राजनीतिक प्रभाव के सामूहिक हत्या की निष्पक्ष जांच कर न्याय सुनिश्चित कर पाएगी?
जिस तरह पश्चिम बंगाल पुलिस टीएमसी पार्टी का मोहरा बन गयी है, उसी तरह सीबीआई बीजेपी की मोदी सरकार के हाथ की कठपुतली है। अगर टीएमसी और बीजेपी के बीच राजनीतिक सहमति बनती है, तो सीबीआई जांच को ठंडे बस्ते में भेजे जाने की संभावना है, जैसा कि हम पहले ही शारदा-नारद घोटाले जैसे भ्रष्टाचार के मामलों में देख चुके हैं।
इसे रोकने के लिए सीबीआई जांच की निगरानी हाईकोर्ट की सीधी निगरानी में की जाए।
बोगतुई हत्याकांड रामपुरहाट थाने से कुछ ही दूरी पर हुआ। एक बम विस्फोट में टीएमसी पंचायत के उप प्रमुख के मारे जाने के बाद से पुलिस घंटों तक जानबूझकर निष्क्रिय रही। इसका फायदा उठाकर दूसरे गुट के बदमाशों ने टीएमसी नेता की हत्या का बदला लेने के लिए 8 मासूम महिलाओं और बच्चों को बेरहमी से प्रताड़ित किया और मार डाला! सबूत मिटाने के लिए लाशों वाले घरों में आग लगा दी गयी। यह सत्तापक्ष के शीर्ष नेतृत्व और उच्चस्तरीय पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत और समर्थन के बिना संभव नहीं होता।
टीएमसी जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल, विधायक आशीष बनर्जी और अन्य टीएमसी नेताओं और बीरभूम एसपी सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग के नेतृत्व में, बीरभूम जिला का बलुआ-पत्थर-कोयला माफिया और पुलिस नेटवर्क-गठबंधन, बोगतुई में राक्षसी हत्याओं के लिए सीधे जिम्मेदार है। उन्होंने सबसे पहले यह कहकर हत्याकांड को छिपाने की कोशिश की कि मौतें टीवी शॉर्ट सर्किट से आग लगने से हुई हैं! अगर अनुब्रत मंडल और उनके साथ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तुरंत हटाया और गिरफ्तार नहीं किया गया, तो न्याय कभी नहीं होगा, जैसा कि हम हावड़ा जिले में अनीस ख़ान की हत्या के मामले में देख रहे हैं।
पूरे बीरभूम माफिया को सीबीआई जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि इसी बीरभूम माफिया के निर्देश पर बीरभूम के देउचा-पंचमी क्षेत्र में स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव अविक साहा सहित कोयला खनन विरोधी कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है, जिसकी जांच का इंतजार है।
मुख्यमंत्री द्वारा बोगतुई हत्याकांड को विपक्ष की ‘साजिश’ बताते हुए जिस तरह से इसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा है, वह न केवल हास्यास्पद है, बल्कि अत्यधिक बेशर्मी और अहंकार का भी प्रतीक है। यदि ममता बनर्जी की सरकार इस जघन्य घटना से सबक नहीं लेती है और राज्य के विभिन्न हिस्सों में पनप रहे माफिया शासन को समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं करती है, तो पश्चिम बंगाल के लोग उन्हें सबक सिखाएंगे।