10 जुलाई। इंदौर पिछले 50 सालों से हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है। ये वो शहर है, जिसने बुर्का पहनी हुई मुस्लिम महिलाओं को कांवड़ लेकर चलते हुए देखा है। यहाँ हिंदू धर्म के लोग शहर-काजी को ईद की नमाज पढ़ने के लिए अपनी बग्घी से लेकर जाते हैं। ईद की नमाज ईदगाह में होती है। शहर-काजी को ईदगाह ले जाने के लिए बग्घी हिंदू समुदाय की ओर से भेजी जाती है। शहर-काजी नमाज के बाद इसी बग्घी से घर जाते हैं। रिजर्व फोर्स के संयोजक सत्यनारायण सलवाड़िया ने बताया, कि शहर-काजी का फूल-मालाओं से स्वागत कर उन्हें बग्घी में बैठाया गया। उनको सुबह 9 बजे सदर बाजार ईदगाह लाया गया।
पहले के समय में घोड़ों से जुती हुई बग्घी में शहर-काजी को ले जाया जाता था। धीरे-धीरे समय बदला और बग्घी का स्वरूप भी बदल गया। अगर कुछ नहीं बदला तो वो है आपसी सद्भाव। अब भले ही जीप को मोडिफाई कर उस पर नकली घोड़े और छत्र लगाकर उसे बग्घी का रूप दे दिया गया है। लेकिन परंपरा बदस्तूर जारी है। सलवाड़िया ने बताया, कि काजी को बग्घी से ले जाने की परंपरा सालों पुरानी है। लेकिन कोरोना काल में यह परंपरा दो साल रुक गई थी। हम कोरोना के कारण दो साल यह परंपरा नहीं कर सके। हम भले ही दो साल शहर-काजी को बग्घी में लेकर नहीं गए हों, लेकिन हमने उनके घर जाकर फूल-मालाओं से उनका स्वागत जरूर किया। सलवाड़िया ने बताया, कि इस परंपरा को पूरा करने के लिए हर साल 20 से ज्यादा हिंदू समाज के लोग इसमें शामिल होते हैं।