30 अगस्त। भारत में आत्महत्या के मामलों में हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। यह बात कोई और नहीं बल्कि एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) की ताजा रिपोर्ट ही कह रही है। भारत में 2021 में कुल 1,64,033 लोगों मे आत्महत्या की है। जबकि यह संख्या साल 2020 में 1,53,052 थी। रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या के मामलों में साल 2021 में 2020 की तुलना में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं इस साल आत्महत्या की दर में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गौरतलब है, कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। इसके बाद तमिलनाडु और तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश है। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में देशभर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की थी, जिसमें 22,207 लोग महाराष्ट्र और 18,925 लोग तमिलनाडु से थे। इसके बाद मध्य प्रदेश में 14,965 आत्महत्याएं, पश्चिम बंगाल में 13,500 आत्महत्याएं और कर्नाटक में 13,056 आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं। ये आँकड़ा कुल आत्महत्याओं का क्रमशः 13.5 प्रतिशत, 11.5 प्रतिशत, 9.1 प्रतिशत, 8.2 प्रतिशत और 8 प्रतिशत है।
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश में आत्महत्या की घटनाओं के पीछे पेशेवर या कैरियर से संबंधित समस्याएं, अलगाव की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, मानसिक विकार, शराब की लत, वित्तीय नुकसान और पुराने दर्द मुख्य कारण हैं। परन्तु इससे भी बड़ा कारण सरकार की गलत नीतियां भी हैं। क्योंकि आत्महत्या करनेवालों में सबसे ज्यादा विद्यार्थी, किसान, मजदूर और आम गरीब जनता है।सरकार की गलत नीतियों के कारण युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, तो किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है तो आम गरीब जनता को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, नतीजा देश में बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी के कारण लोग आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।