12 सितंबर। पाकिस्तान बाढ़ के भयावह हालात से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है लेकिन पैसे, भोजन, चारा जैसे साधनों की कमी जबरदस्त बाधा बनी हुई है। इस स्थिति को नजर में रखते हुए, लाहौर में 1 सितम्बर 2022 को, पाकिस्तान के विदेशी ऋण चुकौती को स्थगित करने की मांग करने के लिए, अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के पास लाहौर प्रेस क्लब के बाहर, महिलाओं समेत सैकड़ों लोग जमा हुए और प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन का आयोजन, पाकिस्तान किसान रबीता समिति (पीकेआरसी) द्वारा किया गया था, जो छोटे किसान संगठनों का एक नेटवर्क है, और एशियन पीपुल्स मूवमेंट ऑन डेट एंड डेवलपमेंट का सहयोगी है।
प्रदर्शनकारियों ने “अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक को ना कहो”, “ऋण चुकौती निलंबित करें”, और “आपदा के दौरान ऋण चुकौती पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ अपराध है” के नारों के साथ, बैनर और तख्तियां लिये हुए नारे लगाये।
पाकिस्तान में अभी हाल की विनाशकारी बाढ़ ने 1500 लोगों की जान ले ली है, 5 करोड़ मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं और देश भर में 10 लाख पशुओं की मौत हो गई है। इसके अलावा, 10, लाख घर बह गए हैं और बाढ़ क्षेत्र और आसपास के इलाकों में 90 फीसद कृषि फसलों को नुकसान पहुंचा है, जो आसन्न खाद्य संकट का संकेत है।
अभूतपूर्व बाढ़ के परिणामस्वरूप 10 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है। फिर भी देश के बाहरी ऋणों ने सरकार के लिए बाढ़ राहत और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करना लगभग असंभव बना दिया है।
पाकिस्तान गंभीर कर्ज संकट से जूझ रहे 52 देशों में से एक है। देश की अर्थव्यवस्था के सामने सबसे गंभीर समस्या बाह्य ऋण की चुकौती है। इस साल के अंत तक पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और चीनी बैंकों सहित अन्य वित्तीय संस्थानों को ऋण चुकौती में लगभग 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर चुकाने की उम्मीद है।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तवर्ष में पाकिस्तान के कुल कर्ज और देनदारियों में 11.85 ट्रिलियन रुपये की वृद्धि हुई है। पिछले वित्तवर्ष में 13.424 बिलियन डालर की तुलना में इस वित्तवर्ष में बाहरी ऋण सेवा में 15.071 बिलियन डालर का भुगतान करना आवश्यक था। ब्याज मूलधन का लगभग 25 फीसद था।
एशियन पीपुल्स मूवमेंट ऑन डेट एंड डेवलपमेंट के समन्वयक, लिडी नैकपिल ने अपने संबोधन में बताया : “कई संकट – COVID-19 और इसके आर्थिक प्रभाव, बढ़ते जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव – पहले से ही ऋण अदायगी रद्द करने के लिए पर्याप्त कारण से अधिक हैं, और अब पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ ने इसे और भी जरूरी बना दिया है।”
इस मांग को न मानना, पूरी तरह से अमानवीय होगा। हम अमीर देशों की सरकारों और ऋणदाताओं से पाकिस्तान और अन्य सभी विकासशील देशों के लिए जलवायु संकट से पार पानेवाले वित्त को आसान बना, अपने पूर्ण दायित्वों को पूरा करने का भी आह्वान करते हैं।
पीकेआरसी के एक आयोजक नासिर इकबाल ने कहा : “हम ऋण चुकौती को स्थगित करने और ऋण को रद्द करने की मांग करते हैं क्योंकि पाकिस्तान अब अपने ऋण चुकाने की स्थिति में नहीं है और इस बाढ़ ने देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब कर दी है।”
“पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और निर्माण कार्यों के लिए और बाढ़ तथा भारी बारिश से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कम से कम चार साल की जरूरत है।” पीकेआरसी से साइमा जिया ने कहा। “इस मांग का अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित एक वैध कानूनी तर्क है, जो आवश्यकता और परिस्थितियों के मूलभूत परिवर्तन के आधार पर ऋण भुगतान को निलंबित करने का आह्वान करता है।”
पीकेआरसी के महासचिव फारूक तारिक ने बताया : “शमन, अनुकूलन, हानि और क्षति के लिए पर्याप्त, अतिरिक्त, सार्वजनिक और गैर-ऋण पैदा करनेवाले जलवायु वित्त का वितरण उतना ही जरूरी है जितना कि बाढ़ संकट से लड़ने और आर्थिक विकास प्रदान करने के उपायों का सार्वजनिक वित्तपोषण। “अधिक न्यायसंगत, लचीली और टिकाऊ अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण के कार्यक्रमों के लिए भी वित्त की आवश्यकता होती है, जो इन कई संकटों को हल करने की नींव है।”
(सन्दर्भ –ग्रीन लेफ्ट, एशियन पीपुल्स मूवमेंट ऑन डेट एंड डेवलपमेंट की प्रेस रिलीज, एशिया न्यूज और मए बुएनवेन्तुर के ट्वीट्स)
– उपेन्द्र शंकर
जलधारा अभियान