लंपी वायरस के कहर ने तोड़ी निर्धन मजदूरों की आर्थिक कमर

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25 सितंबर। जिस तरह कोरोना महामारी ने मानवजाति पर कहर बरपाया था, उसी तरह लंपी वायरस गायों पर कहर बरपा रहा है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश के बाद अब लंपी वायरस ने उत्तराखंड में भी कहर मचाना शुरू कर दिया है। अब तक राज्य में हजारों की संख्या में गायों की इससे मौत हो गई है। उत्तराखंड राज्य के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फिलहाल लंपी से स्वस्थ होनेवाली गायों की दर 40% तथा मृत्यु दर 1.6% है।

हजारों हजार पशुओं की अकाल मृत्यु और लाखों गौवंशीय पशुओं के बीमार होने ने किसानों और खेतिहर मजदूरों की आर्थिक कमर भी तोड़ कर रख दी है। दरअसल, भारत में पशुपालन गाँव के लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा है और पशुधन से भावनात्मक लगाव भी होता है। अगर इस तरह से पशुधन अकाल मृत्यु होती है तो ग्रामीण इलाकों के निर्धन परिवारों की कमर टूट जाएगी। पशुधन से ही खेती-बाड़ी का काम और दूध का उत्पादन जीविका का एकमात्र जरिया है। पशुधन की अकाल मृत्यु भूमिहीन किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए भारी क्षति है, इसी सब के चलते सरकार को निर्धन पशुपालकों के लिए अविलंब मुआवजा नीति घोषित करनी चाहिए।

केंद्र सरकार के द्वारा इस संक्रमण को रोकने के लिए टीका के प्रयोग की सलाह दी जा रही है, जिस पर राज्य सरकार को निःशुल्क टीका उपलब्ध कराने की योजना बनानी चाहिए। एक जानकारी के अनुसार, इस बीमारी के कारण पंजाब में लगभग बीस फीसद दुग्ध उत्पादन घट गया है। मध्यप्रदेश किसान सभा ने केंद्र तथा मध्यप्रदेश सरकारों से माँग की है, कि लम्पी को महामारी घोषित किया जाए। इससे प्रभावित पशुओं के निःशुल्क इलाज, तथा रोकथाम के लिए टीकाकरण के कदम युद्ध स्तर पर उठाये जाएँ। इस बीमारी से मरनेवाले पशुओं के मालिकों को मुआवजा दिया जाए। इस महामारी से मारे जा रहे पशुओं के अंतिम संस्कार के इंतजाम किये जाएँ। उनके दफनाने का खर्च सरकार उठाये।

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