
— डॉ सुरेश खैरनार —
मौजूदा सत्ताधारी दल जांच एजेंसियों को 2014 के पहले पिंजरे का तोता कहता था। लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता हासिल करने के बाद उसी तोते को बीजेपी ने गिद्ध बना दिया। विरोधी दलों के नेताओं पर लगातार छापों का सिलसिला शुरू कर दिया ! और उनमें से कुछ लोग तुरंत बीजेपी में शामिल हो गए। उनके भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मान लिया गया, ‘पार्टी विद डिफरेंस’ में जाने के बाद ! जैसे गंगा में डुबकी लगाने के बाद सब पाप धुल जाते हैं वैसे ही बीजेपी में शामिल होते ही सारे भ्रष्टाचार क्षम्य हो जाते हैं ! उन पर सभी कार्रवाइयां रोक दी जाती हैं! उन्हीं की मदद से बीजेपी ने मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, मणिपुर और अब ताजा-ताजा महाराष्ट्र में सत्ता हथिया ली ! जोड़तोड़ करके संपूर्ण भारत में अपनी सरकार बनाने की हवस बीजेपी पर सवार हो गई है !
पिछले दिनों इंडियन एक्सप्रेस में आयी खबर को देखते हुए इन एजेंसियों को कौन-सी उपमा देनी चाहिए? खबर यह है कि 2014 से अब तक ईडी के केस चार गुना बढ़े हैं, और उसमें भी 95 फीसद केस विरोधी दलों के नेताओं के खिलाफ! जिसमें नंबर एक पर कांग्रेस ! नंबर दो पर तृणमूल कांग्रेस ! और तीसरे नंबर पर एनसीपी ! और अब तो आम आदमी और अन्य प्रादेशिक दलों के नेताओं का भी समावेश है !
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव में 3 जुलाई को सदन में, विरोधी दलों के सदस्यों ने ईडी ईडी के नारे लगाए थे! क्योंकि जब एकनाथ शिंदे अपने साथ कुछ विधायकों को लेकर सूरत लेकर गए थे तो उन सभी विधायकों के भ्रष्टाचार के आंकड़े सोशल मीडिया पर घूम रहे थे ! और कहा जा रहा था कि इन्हें ईडी की कार्रवाई होने की संभावना नजर आई तो ये सभी तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे के पास गए थे कि हमें बचाओ ! मतलब आप कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन तोड़कर, बीजेपी के साथ गठबंधन कीजिए तो हम सभी बचेंगे ! उद्धव ठाकरे ने शायद मना कर दिया ! तो सुना है कि वे बीजेपी के महाराष्ट्र के सबसे बेचैन राजनेता के पास गए और उसने उन्हें पहले सरकार से समर्थन वापस लेने की सलाह दी और सूरत भेज दिया, और वहां से गुवाहाटी। और बाद में वापस गोवा के रास्ते से, मुंबई लाकर सरकार का गठन किया !
इंडियन एक्सप्रेस की खबर का निहितार्थ यह है कि वर्तमान महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री और उनके साथ आए शिवसेना के विधायकों को, बीजेपी के साथ होने के कारण, ईडी से डरने की जरूरत नहीं है ! इसलिए विरोधी दलों के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान 3 जुलाई को ईडी ईडी का नारा लगा रहे थे !
21 अगस्त को बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (इसके पहले यह पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काफी लंबे समय तक थे ! विधानसभा चुनाव के बाद, इन्हें उस पद से इस्तीफा देना पड़ा और अब वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं) दिलीप घोष ने दावा किया कि केंद्र की सरकार तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ विभिन्न केसों में कार्रवाई करने के लिए 21अगस्त से ईडी को भेज रही है क्योंकि सीबीआई बहुत ही मंद गति से काम कर रही है, और उसके बाद किसी को गायों की तस्करी में तो किसी को शिक्षक भर्ती के घोटाले में ! और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भांजे के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है!
बहन मायावती के बारे में ! चुनाव से पहले ही अमित शाह ने कहा था कि बहनजी के कारण हमें उत्तर प्रदेश में गिनकर सवा सौ सीटों का फायदा होनेवाला है। और बिल्कुल अमित शाह की भविष्यवाणी सही साबित हुई! इतनी बार मुख्यमंत्री रही कद्दावर नेता की इस तरह की राजनीति से! बीएसपी के उत्तर प्रदेश में अब कितने विधायक है?
भारतीय जनता पार्टी सत्ता के मद में अंधी हो गयी है। समस्त देश में अपनी सत्ता होनी चाहिए इस महत्त्वाकांक्षा में आयाराम – गयाराम की राजनीति को बढ़ावा देकर भारतीय जनता पार्टी किस तरह के ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ का परिचय दे रही है? और इस तरह भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को साथ लेकर ! अपनी पार्टी में शामिल करके! वह खुद अपनी कब्र खोदने का काम कर रही है !
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