11 नवम्बर। भारतीय न्यायिक संस्थाओं के बेतुके फैसलों से आहत उत्तराखंड की महिलाओं का आक्रोश किरण नेगी के हत्यारों को बरी किए जाने के बाद फूट पड़ा। उत्तराखंडी महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपना रोष जाहिर किया। सुप्रीम कोर्ट पर प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस के हाथ पांव फूल गए। आनन फानन में तिलक मार्ग थाने से भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुँच गया। जिसके बाद प्रदर्शन कर रही महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
गौरतलब है, कि मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जनपद निवासी किरण नेगी की ग्यारह साल पहले दिल्ली में तीन युवकों ने बलात्कार के बाद क्रूरता के साथ हत्या कर दी थी। अपराधियों द्वारा किरण के साथ की गई क्रूरता का यह आलम था, कि ट्रायल कोर्ट ने इसे फांसी से कम का मामला नहीं माना था। हाईकोर्ट ने एक कदम और आगे बढ़कर टिप्पणी की थी, कि यह हत्यारे सड़क पर शिकार की तलाश में घूम रहे थे। इन पर रहम का अर्थ न्याय की गरिमा को नुकसान पहुँचाना है। निचले स्तर की अदालतों की इतनी प्रतिकूल टिप्पणियों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्यजनक रुख अपनाते हुए इन सजायाफ्ता अपराधियों को जुर्म से ही बरी कर दिया।
‘जनज्वार’ की एक खबर के मुताबिक, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किरण नेगी के हत्यारों को छोड़े जाने के खिलाफ उत्तराखंड में उबाल आ गया। राज्य की विस्फोटक स्थिति को देखते हुए खुद राज्य सरकार को इसमें बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा। मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्री से बात की, तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया। इसके साथ ही उत्तराखंड मूल के अधिवक्ता भी इस मामले में रिव्यू पिटिशन दायर करने के लिए लामबंद होने लगे। इतना ही नहीं दिल्ली स्थित उत्तराखंड के लोगों के संगठनों में भी कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ विरोध के स्वर उभरने लगे। गुरुवार को सर्च माई चाइल्ड की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल भट्ट की अगुवाई में उत्तराखंड मूल की महिलाएं देश के सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर पड़ीं। सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ महिलाओं के प्रदर्शन की खबर जैसे ही दिल्ली प्रशासन को लगी, समूचे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
‘अविकल उत्तराखंड’ न्यूज के मुताबिक, प्रदेश महिला कांग्रेस ने भी उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी को न्याय दिलाने व श्रद्धांजलि देने के लिए गुरुवार को कैंडल मार्च निकाला। कैंडल मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल हुए। कैंडल मार्च में ‘किरण नेगी माँगे न्याय’, ‘अंकिता माँगे न्याय’ का बैनर भी कांग्रेसी साथ लेकर चल रहे थे। इस अवसर पर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, कि बेटी किरन की आत्मा, हम सबसे प्रश्न पूछ रही है। पूरी मानवता व पूरे जागृत जनमत से पूछ रही है, आखिर कोई तो है मेरा गुनहगार? उन्होंने उत्तराखंड सरकार से आग्रह किया, कि हम राज्य के तौर पर तो कानूनी लड़ाई नहीं लड़ पाए हैं! जिस समय यह वीभत्स कांड हुआ था, उस समय किरन नेगी के भाई-बहन छोटे थे। आज उस परिवार को जो भावनात्मक रूप से पूरी तरीके से टूट चुका है, सहारे की जरूरत है। बेटी अंकिता भंडारी के परिवार को ₹25 लाख और उसके भाई को नौकरी देने की जो मुख्यमंत्री ने बात कही है, वह सराहनीय है। वही सहायता किरन नेगी के टूटे व ध्वस्त पड़े परिवार को भी मिलनी चाहिए!