16 नवम्बर। झारखंड उर्जा विकास निगम के लगभग दो हजार कर्मचारी हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे हैं। कर्मचारियों की ओर से छह दिसंबर से आंदोलन शुरू करने की योजना बनायी गयी है। जिसके तहत छह दिसंबर को धरना प्रदर्शन और सात दिसंबर से भूख हड़ताल की योजना है। हड़ताल में शामिल होने वाले सभी कर्मचारी तकनीकी हैं, जो लाइन मेंटेंनेस से लेकर बिजली व्यवस्था पर नजर रखतें हैं। इनमें से कुछ कर्मचारी सब डिवीजन्स में कार्यरत हैं। ऐसे में इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से राज्य में बिजली व्यवस्था पर असर पड़ना लाजिमी है।
हड़ताल का आयोजन झारखंड पावर वर्कर्स यूनियन की ओर से किया जाएगा। इसकी जानकारी देते हुए यूनियन के अध्यक्ष आशीष कुमार ने बताया, कि सभी कर्मचारी तकनीकी हैं। ऐसे में इन कर्मियों के हड़ताल पर जाने से राज्य की बिजली व्यवस्था पर असर पडे़गा। आशीष ने बताया, कि हालांकि अभी प्रबंधन की ओर से वार्ता का कोई बुलावा नहीं आया है। लेकिन वार्ता में बुलाने पर संघ वार्ता के लिए जरूरी जाएगा और अपनी माँगों को रखेगा।
यूनियन के अध्यक्ष के मुताबिक प्रबंधन द्वारा लगातार पदाधिकारियों को प्रोन्नति दी जा रही है। जबकि कर्मचारियों को आज तक कोई प्रोन्नति नहीं दी गयी। डेजिग्नेशन मैपिंग के नाम पर प्रबंधन ने तृतीय संवर्ग के तकनीकी कर्मी को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी बना दिया। प्रबंधन के आदेश के कारण सभी कर्मियों की प्रोन्नति, कहीं-कहीं तो वार्षिक वेतन वृद्धि तक रोक दी गयी है। प्रबंधन का आदेश दो सितंबर को जारी किया गया। तब से कर्मियों में असंतोष है। इस संदर्भ में कई बार अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक से वार्ता की गयी, लेकिन न्याय नहीं मिला। उन्होंने बताया, कि कुछ अधिकारी यूनियन से सहमत भी हुए लेकिन अपने गलत आदेश को वापस नहीं लिया जिससे सभी कर्मियों में भारी असंतोष है। ऐसे मे अब आंदोलन ही एकमात्र विकल्प है। इस दौरान बिजली व्यवस्था चरमराने पर पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।
(‘मेहनतकश’ से साभार)
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