भारत में घृणा अपराधों को बढ़ावा देने में पुलिस की भूमिका : सीएमआरआई रिपोर्ट

0

27 नवम्बर। अपराधियों की मदद करके, पीड़ितों को हिरासत में लेकर और कुछ मामलों में एफआईआर दर्ज न करके कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पिछले साल घृणा अपराधों (हेट क्राइम) को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई है। एक अमेरिकी एनजीओ काउंसिल ऑन मायनॉरिटी राइट्स इन इंडिया (सीएमआरआई) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। सीएमआरआई द्वारा दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में ‘भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक’ नामक यह रिपोर्ट जारी की गई। इसमें भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों की हालत, अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा अपराधों के उदाहरण, उनका मीडिया में प्रस्तुतिकरण और अन्य विषयों पर बात की गई।

रिपोर्ट को वकील कंवलप्रीत कौर, छात्र कार्यकर्ता सफूरा जरगर, निधि परवीन, शरजील उस्मानी और तज़ीन जुनैद ने जारी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने की। घृणा अपराधों पर एक अध्याय में, रिपोर्ट उन तरीकों का विवरण देते हुए बताती है कि कुछ मामलों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाइयां इस तरह की रहीं उनसे घृणा अपराधों को और बढ़ावा मिला। इस अध्याय में प्राथमिक और द्वितीयक दोनों डेटा के आधार पर रिपोर्ट बताती है, कि 2021 में भारत में ईसाइयों, मुसलमानों और सिखों के खिलाफ घृणा अपराधों के 294 मामले दर्ज किए गए। इनमें से अधिकांश अपराध 192 मुसलमानों के खिलाफ दर्ज किए गए, 95 ईसाइयों के खिलाफ और 7 सिखों के खिलाफ थे। रिपोर्ट के अनुसार, ईसाई समुदाय को मुख्य रूप से जबरन धर्मांतरण के आरोपों में निशाना बनाया गया, जबकि मुस्लिम समुदाय को मुख्य रूप से अंतर-धार्मिक संबंधों और गोहत्या के आरोपों के लिए निशाना बनाया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, एक स्पष्ट पैटर्न है जो बताता है, कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा अपराध की घटनाएं बड़े पैमाने पर भाजपा शासित राज्यों में हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, घृणा अपराधों के अपराधियों के खिलाफ पुलिस की ओर से कार्रवाई करने में निश्चित तौर पर कमी देखी गई, जो आपराधिक-न्यायिक प्रणाली में भेदभाव के एक बड़े पैटर्न का खुलासा करती है। रिपोर्ट में पुलिस द्वारा घृणा अपराध के पीड़ितों को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने में ‘पूर्वाग्रह’ से ग्रसित होने की भी बात कही गई है, और कहा गया है, कि ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें पुलिस अपराध में अपराधियों की मदद कर रही थी या किए गए अपराध की अनदेखी कर रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी भी घटनाएं हुईं जिनमें पुलिस अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के खिलाफ अपराधों में शामिल रही। ऐसी भी घटनाएं हुईं कि पुलिस ने पीड़ित के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर लिया।

(Hindutvawatch.org से साभार)

अनुवाद:- अंकित निगम

Leave a Comment