2 दिसंबर। डॉ. जी.एन साईंबाबा और चार अन्य की रिहाई के लिए प्रचार कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) के सदस्यों ने कथित तौर पर पीटा। इसके अलावा जब छात्र हिंदू राव अस्पताल में अपनी चोटों के इलाज की माँग कर रहे थे, तो 40-50 लोगों ने अस्पताल को घेर लिया और उन्हें धमकी भी दी। विधि अंतिम वर्ष के छात्र और भगतसिंह छात्र एकता मंच के अध्यक्ष रविंदर सिंह ने कहा, “हम जीएन साईंबाबा की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान चला रहे थे। अचानक एबीवीपी के 40-50 छात्रों ने लाठियों से हम पर हमला किया, जिससे कई छात्र घायल हो गए। जिसमें से लगभग 10-12 छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय के भगतसिंह छात्र एकता मंच से संबंधित थे।” गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम(UAPA) के तहत जी.एन साईंबाबा की गिरफ्तारी के मद्देनजर छात्र ‘अन्याय के खिलाफ, जी.एन. साईंबाबा और अन्य की रिहाई के लिए अभियान’ चला रहे हैं।
शासकीय दमन के खिलाफ अभियान में 5 दिसंबर को “थॉट्स क्रिमिनलाइज्ड : स्टोरी ऑफ जी.एन. साईंबाबा एंड कॉमरेड्स” शीर्षक से एक जनसभा भी आयोजित की जाएगी। रविंदर ने आगे कहा कि कुछ कथित हमलावरों के घुटने पर आम आदमी पार्टी का झंडा बंधा हुआ था, लेकिन हमें यकीन है, वे सभी एबीवीपी से थे। एक अन्य प्रदर्शनकारी राजवीर ने मीडिया के हवाले से बताया, कि मेरे एक दोस्त को ईंट से मारा गया, दूसरे को नीचे गिराकर पीटा गया।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा ने ट्वीट कर कहा कि हम लोग डराने-धमकाने से नहीं डरते हैं। हम ‘बाहुबल’ के बजाय ‘मनोबल’ को ज्यादा महत्त्व देते हैं। हम शांति में विश्वास रखते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम कमजोर हैं। स्वराज इंडिया ने इस कायरतापूर्ण हमले की निंदा की है, और कहा है कि बीजेपी सरकार की मिलीभगत से डीयू में एबीवीपी के अत्याचारों पर आँख मूंद लेने के कारण यह एक पैटर्न बन गया है। वे लोग सद्भाव, लोकतांत्रिक और सामाजिक मूल्यों को नुकसान पहुँचाते हैं।
जी.एन. साईंबाबा और शेष चार लोगों की गिरफ्तारी ने उन पर माओवादी होने के आरोपों के कारण मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। आदिवासी अधिकारों के हिमायती साईंबाबा ने ‘ऑपरेशन ग्रीन हंट’ की निंदा की थी, जो कि 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा भारत के आदिवासी क्षेत्र में माओवादी विद्रोहियों को कुचलने के एकमात्र उद्देश्य से शुरू किया गया एक सैन्य अभियान था।
(siasat.com से साभार)
अनुवाद – अंकित निगम