14 दिसंबर। मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार शिक्षा के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कदम उठाने का दावा करती है। दूसरी तरफ राज्य शिक्षा केंद्र के सर्वे में स्कूली शिक्षा के स्तर के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वे के मुताबिक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तीसरी क्लास तक के बच्चों की स्थिति पढ़ाई में बहुत खराब है। पहली से तीसरी तक के 25 लाख बच्चों में से करीब 79% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचान पाते। 75 फीसदी बच्चे शब्द नहीं बोल पाते। 85 फीसद बच्चे वाक्य तक नहीं बना पाते। मध्य प्रदेश में स्कूली बच्चों की स्थिति इसलिए हैरान करने वाली है कि इस बार के नेशनल सर्वे में मध्यप्रदेश देश के टॉप 5 में रहा।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किए गए सर्वे में गणित के एक अंक को 86 प्रतिशत छात्र सही पहचान लेते हैं। जबकि गणित के दो अंकों को 20 प्रतिशत बच्चे नहीं पहचान पाते। दो अंकों की तुलना 76 प्रतिशत बच्चे सही कर पाए। जिसमें यह अंक बड़ा है, जबकि यह अंक छोटा शामिल है। जबकि गणित विषय में एक मिनट के दौरान जोड़ने-घटाने में 33 प्रतिशत ही सही कर पाए। वहीं कक्षा पहली से तीसरी तक के बच्चों की पढ़ाई की बात की जाए तो 35 शब्द प्रति मिनट की स्पीड से पढ़ाई करना है जो ग्लोबल स्टैंडर्ड है। इससे कम पढ़ने की क्षमता बच्चे की नहीं होनी चाहिए। प्रदेश में इस स्टैण्डर्ड क्षमता में पढ़ाई करने वाले 16.60 प्रतिशत बच्चे ही आ पाते हैं। कक्षा लेवल के अनुसार पढ़ाई करने वाले सिर्फ 7 प्रतिशत बच्चे हैं। प्रदेश में 75 प्रतिशत बच्चे अपनी कक्षा से नीचे वाले लेवल पर हैं।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सरकार ने नई योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। अब स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली से तीसरी कक्षा की स्थिति को देखते हुए नया प्लान तैयार किया है। इसमें बच्चों को रेत पर लिखवाने से लेकर लोकल भाषाओं में किताबें तक बनाई जाने के प्रयोग किए जाएंगे। इसे लेकर मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षामंत्री इंदरसिंह परमार ने मीडिया के हवाले से बताया कि अब कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है। हमें 2027 के लक्ष्य को पाने के लिए शिक्षा में कई बदलाव करने होंगे। वहीं इस मामले में राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस के मुताबिक, अगर बच्चों को उनकी लोकल भाषा में सिखाया जाए तो वे जल्दी सीखते हैं। उन्होंने कहा है कि अब स्कूल शिक्षा विभाग लोकल भाषा या बोली पर ज्यादा जोर दे रहा है। प्राइमरी लेवल पर इसी तरह से किताबें और कहानी की किताबें भी होंगी।