10 जनवरी। झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा ने केंद्र सरकार से आदिवासी जनता के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों को सुनिश्चित करने की माँग की है। इसके अलावा मोर्चा ने पूरे देश की प्रगतिशील जनता से आह्वान किया है, कि आदिवासी समाज के खिलाफ चल रहे ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ जारी संघर्ष में मोर्चा का हिस्सा बनें। झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा ने इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है, कि पिछले कुछ सालों में धार्मिक असहिष्णुता यानी अलग-अलग धर्मों के बीच तनाव बढ़ गया है। झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा का आरोप है कि कुछ खास राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग धर्म के लोगों को लड़ाने में व्यस्त हैं। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों को वोट की राजनीति करने के लिए बाँट दिया गया है।
संगठन का यह भी आरोप है, कि भारत में बेरोजगारी और भुखमरी के बारे में बात नहीं होती। सिर्फ धार्मिक भावनाओं के आहत होने की बातें होती हैं। जल-जंगल-जमीन की कॉर्पोरेट द्वारा लूट और आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ते सैन्यीकरण से क्या किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचती? झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा ने जनता से आह्वान किया है कि वह धार्मिक, राजनीतिक कर्मकांडों के पीछे छिपे पूंजीवादी रवैये को समझे और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर बचाने के साथ-साथ अपने मानवाधिकारों को भी सुनिश्चित करे। झारखण्ड जन संघर्ष मोर्चा ने इस मुद्दे से उपजे कई सवालों को जनता के सामने रखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब माँगा है।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)
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