राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान शुरू करने का फैसला हुआ
7 फरवरी. गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली में युवा संगठनों की हुई मीटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान शुरू करने का फैसला लिया गया। मीटिंग में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया कि बेरोजगारी की समस्या आज बहुत चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। सरकार इसके समाधान को लेकर कतई गंभीर नहीं है। किसी राजनीतिक दल के पास भी रोजगार के सवाल पर सुस्पष्ट विचार नहीं है। समय-समय पर छात्रों का आंदोलन भी उभरता है। अग्निवीर के विरुद्ध आंदोलन इसका प्रमाण है। स्थानीय स्तर पर भी आंदोलन चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में जितने भी आंदोलन हैं उनको राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित करने की जरूरत को देखते हुए कोआर्डिनेशन टीम का गठन किया गया।
प्रस्ताव में आगे कहा गया कि संविधान में ‘कल्याणकारी राज्य’ की अवधारणा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों और अनुच्छेद 21 की व्याख्या में नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार सुनिश्चित करने की बात की है। आज बहुतायत आबादी बेरोजगार है जो कि लोगों के अपमानजनक/तिरस्कारपूर्ण जीवन का मुख्य कारण है। ऐसे में राज्य का यह दायित्व है कि नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन के लिए आजीविका सुनिश्चित करे। इसके लिए कानून बनाया जाना चाहिए और मांग की गई कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए। सभी नागरिकों को गरिमापूर्ण रोजगार की गारंटी की जाए और जब तक रोजगार न मिले तब तक बेरोजगारी भत्ता (जो न्यूनतम वेतनमान से 50 फीसद से कम न हो) दिया जाए।

राज्यों व केंद्र में सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े तकरीबन एक करोड़ पदों को पारदर्शिता के साथ समयबद्ध भरने की सरकार घोषणा करे।
सरकारी विभागों में आमतौर पर नियुक्तियों को ठेका पर किया जा रहा है यहां तक कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में भी। नियुक्तियों में कांट्रेक्ट सिस्टम को खत्म किया जाए। यहां जो ठेका पर नियुक्तियां हैं उनका विनियमन किया जाए और किसी भी सेक्टर में न्यूनतम वेतनमान 25 हजार रुपये से कम न हो।
रोजगार और शिक्षा के प्रश्न पर किसी तरह के शांतिपूर्ण आंदोलन की इजाजत सरकार नहीं देती है और युवा नेताओं का उत्पीड़न करती है। हमारी मांग है कि छात्रों-नौजवानों से संवाद करने, शांतिपूर्ण आंदोलन करने में वह हस्तक्षेप न करे।
बैठक में प्रो आनंद कुमार, अखिलेंद्र प्रताप सिंह, कुमार शुभमूर्ति, कल्पना, पत्रकार सत्येद्र रंजन, विजय प्रताप सहित कई वरीय सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता भी उपस्थित रहेI मीटिंग में युवा हल्लाबोल, कर्नाटक विद्यार्थी संगठन, युवा मंच, एआईडीवाईओ, देश की बात, युवा भारत आदि संगठनों से जुड़े उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, पं. बंगाल आदि राज्यों के युवा प्रतिनिधि शामिल हुए।
नौ सदस्यीय कोआर्डिनेशन कमेटी गठित हुई जिसके संयोजक अनुपम और सह संयोजक उत्तरप्रदेश के राजेश सचान और कर्नाटक के सरोवर चुने गएI इसके अलावा प्रमुख युवा प्रतिनिधियों में रजत यादव, अनुराधा, टीना, ईरा बोस, अंकित भारद्वाज, अमन बंका, रूबी सिंह गौड़, अशोक वर्मा, कुसुम, हिमांशु सिंह, वीरेंद्र यादव, रेनू मौर्य, अश्विनी यादव, बागीश धर राय, विजय मुखर्जी, जयप्रकाश यादव, नीलेंदु त्यागी, गुंजा गोंड़, मदन पटेल, सिद्धार्थ, अजीत वर्मा आदि शामिल रहे।
– रजत यादव
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