31 मार्च। लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान में राजद्रोह या देशद्रोह संबंधी कानून को रद्द कर दिया है। पीपीसी यानी पाकिस्तान पीनल कोड (पाकिस्तान दंड संहिता) 1860 की धारा 124ए को कई याचिकाओं के जरिये चुनौती दी गयी थी। इन याचिकाओं में यह कहा गया था कि देशद्रोह संबंधी कानून घोर अलोकतांत्रिक है, यह अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है क्योंकि यह सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाने को अपराध करार देता है। इस कानून का सरकारों द्वारा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मनमाना इस्तेमाल होता आ रहा है।
लाहौर हाईकोर्ट के फैसले से जाहिर है कि उसने याचिकाओं में दी गयी दलीलों को तथ्यसंगत और तर्कसंगत माना है। लाहौर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि इस कानून को अंग्रेजों ने गुलामों के लिए बनाया था।
भारत में भी देशद्रोह संबंधी कानून को रद्द करने की मॉंग उठती रही है और इस कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं।
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