7 अप्रैल। रोजगार को कानूनी अधिकार बनवाने के लिए पिछले सप्ताह बहुत सारे युवा संगठनों ने संयुक्त युवा मोर्चा के नाम से एक साझा मंच का एलान किया। मोर्चा में 113 युवा समूह/संगठन शामिल हैं। समूह के गठन से संबंधित समाचार आप 6 अप्रैल के समता मार्ग पर पढ़ चुके हैं। संयुक्त युवा मोर्चा क्या सोचता है और क्या करने जा रहा है इसकी झलक इसके संकल्प प्रस्ताव से मिलती है। संकल्प-प्रस्ताव इस प्रकार है-
हम तमाम संगठनों तथा युवा समूहों के प्रतिनिधि व नेता राष्ट्रव्यापी रोजगार आन्दोलन खड़ा करने के लिए ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के गठन का संकल्प/प्रस्ताव लेते हैं। ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ भारत की साझा संस्कृति, लोकतांत्रिक स्पिरिट तथा संवैधानिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध युवा समूहों का साझा मंच है। मोर्चा रचनात्मक तथा समाधानोन्मुख तरीकों से भारतीय युवाओं की आकांक्षा, असंतोष तथा बेचैनी का प्रतिनिधित्व करेगा तथा उसे स्वर देगा।
भारत आज एक गहरे रोजगार संकट का सामना कर रहा है, जो युवा आबादी के बड़े हिस्से के लिए जीवन-मरण प्रश्न बन गया है। इसे साबित करने के लिए पर्याप्त आंकड़े तथा वास्तविक जीवन की कहानियां मौजूद हैं। कहने की जरूरत नहीं कि मौजूदा निज़ाम की नीतियां और राजनीति हमको इस मुकाम तक ले आयी है। न सर्फ हमारी अर्थव्यवस्था, बल्कि हमारा समाज और लोकतन्त्र निशाने पर हैं। इसलिए संकट बहुआयामी और अभूतपूर्व है।
नोटबन्दी जैसे तुगलकी फरमानों का भारतीय जॉब मार्केट पर प्रतिकूल असर पड़ा, छोटे व्यापारी और व्यवसाय अभी भी ऐसे झटकों से उबर नहीं पाए हैं। इससे भारी संख्या में रोजगार के अवसर खत्म हुए हैं, खासतौर से सर्वाधिक कमजोर और हाशिये के तबकों के। जॉब मार्केट में निराशा के कारण लोग रोजगार की तलाश ही छोड़ रहे हैं और लेबर फोर्स से बाहर आने के लिए मजबूर हो रहे हैं। सरकार का NCRB का अपना आंकड़ा ही दिखा रहा है कि बेरोजगारी के कारण भारत में होने वाली आत्महत्या लगातार बढ़ती जा रही है।
ऐसे माहौल में, यह और भी चिंताजनक है कि इसे हल करने के लिए जिम्मेदार सरकार संकट को ही स्वीकार करने को तैयार नहीं है। कोविड के बाद के दौर के झटके को संभालने के लिए जब सबसे ज्यादा जरूरत है, तब सरकार MNREGA जैसी योजनाओं के रोजगार बजट में भारी कटौती कर रही है।
कानून के अनुसार गरिमामय रोजगार सुनिश्चित करने के बजाय, सरकार खुद ही ठेका श्रम कानून के उल्लंघन को बढ़ावा दे रही है, जिसके फलस्वरूप मजदूरों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है। App-आधारित कम्पनियों द्वारा गिग मजदूरों के शोषण के अन्यायपूर्ण तरीके अपनाए जा रहे हैं।
निजी तथा असंगठित क्षेत्र में अनेक नीतिगत फैसलों से हुई तबाही के बाद, अब हमारे राष्ट्रीय संसाधनों के निजीकरण और बिक्री का फैसला सार्वजनिक क्षेत्र के लिए भी घातक है।
‘मोडानीकरण’ की इस नीति से जहां कुछ हाथों में सम्पत्ति का संकेन्द्रण हुआ है, वहीं आम नागरिक महंगाई तथा गरीबी के कारण भारी आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
ऑक्सफैम जैसी रपटों ने इस भयावह असमानता के आंकड़े पेश किए हैं जो बताते हैं कि 1% अति-धनिक कारपोरेट का सम्पदा के 40% से अधिक पर कब्जा और नियंत्रण है, जबकि आधी से अधिक आबादी मात्र 3% संसाधनों पर निर्भर हैं।
वह सरकार जो 2 करोड़ रोजगार हर साल देने के वायदे के साथ आई थी, उसने 45 साल का बेरोजगारी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार का वायदा करती रहती है और रोजगार मेला जैसे आडम्बरपूर्ण इवेंट आयोजित करती है, पर सच्चाई यह है कि सरकारी नौकरियां लगातार खत्म की जा रही हैं। विडंबना है कि जो सरकार 8 साल में महज 7.22 लाख नौकरियां दे सकी, वह अब अगले 1 साल में 10 लाख सरकारी नौकरियों का वायदा कर रही है। ऐसे वायदे अतीत में भी जुमले से अधिक नहीं साबित हुए।
राज्यों में हालत इससे बेहतर नहीं है। पेपर लीक के मामले अब आम हो गए हैं। रोजगार के घटते अवसरों तथा भर्ती में अनावश्यक विलम्ब से आकांक्षी युवा परेशान हैं, वे आंदोलनों और डिजिटल माध्यमों से अपना आक्रोश व्यक्त करते रहते हैं। बेरोजगार युवाओं के असंतोष का समाधान करने के बजाय, अधिकांश सरकारें लाठी का सहारा लेती हैं और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर दमन ढाती हैं। निजी क्षेत्र के रोजगार क्योंकि शिक्षित और आकांक्षी युवाओं की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पा रहे, इसलिए बेरोजगार युवा सालों-साल सरकारी भर्ती की तैयारी में लगाते हैं और अंत में उनके हाथ लगती है हताशा और अवसाद।
इस गहराते अंधेरे से निकलने का रास्ता है उम्मीद। हमारे देश के युवाओं को सरकार से यह ‘भरोसा’ चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। यह भरोसा है ‘भारत रोजगार संहिता’, जिसके लिए हमें सामूहिक रूप से लड़ना होगा। जनसमुदाय के बीच बदलाव की यह उम्मीद पैदा करने के लिए व्यापकतम सम्भव एकता के साथ आज जनान्दोलन की जरूरत है। “भ-रो-सा” को केंद्रित कर व्यापक एकता के लिए साझा संकल्प के साथ संयुक्त प्रयास की जरूरत है।
हम एकताबद्ध होकर निम्न के लिए लड़ने का संकल्प लेते हैं :
1) ‘रोजगार का अधिकार’ एक कानूनी गारंटी के बतौर, 21-60 आयुवर्ग के प्रत्येक वयस्क के लिए उसके आवास से 50 किमी के अंदर बेसिक न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करते हुए।
a) विभिन्न भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में अधिक से अधिक औद्योगिक क्लस्टर पुनर्जीवित करते हुए तथा नया खड़ा करते हुए।
b) ऊपरी 1% अति-धनिक तबकों पर संपत्ति कर तथा उत्तराधिकार कर लगा कर रोजगार गारंटी के लिए वित्तीय उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
2) सार्वजनिक क्षेत्र में सभी खाली जगहों को निष्पक्ष और समयबद्ध ढंग से भरा जाए।
a) एक ‘मॉडल एग्जाम कोड’ लागू करते हुए 9 महीने के अंदर हर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए।
b) भर्ती प्रक्रिया में पेपर लीक, विलम्ब और अनियमितताओं के मामले में जवाबदेही तय की जाए।
3) स्थायी प्रकृति के कामों में व्याप्त ठेका प्रथा का उन्मूलन किया जाए।
a) युवा-विरोधी अग्निपथ योजना निरस्त की जाए तथा सेना व अर्धसैनिक बलों में सभी पदों के लिए फिर से नियमित भर्तियां शुरू की जाए।
b) श्रमिकों, गिग मजदूरों के शोषण पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं और नियमों का उल्लंघन करने वाली एजेंसियों तथा उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
4) ‘मोडानीकरण’ अर्थात “घाटे का राष्ट्रीयकरण तथा मुनाफे का निजीकरण” की नीति पर रोक लगाई जाए, जिसने सामाजिक न्याय पर प्रतिकूल असर डाला है तथा असमानता और बेरोजगारी को चरम पर पहुँचा दिया है।
a) ऐसी नीतियां जो आम नागरिकों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में बाधक हैं, उन पर रोक लगे।
b) रेलवे और बैंक जैसे अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इन्हें स्वायत्त बनाया जाना चाहिए और निजी क्षेत्र को नहीं बेचा जाना चाहिए।
हम समझते हैं कि ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ द्वारा उठाया गया यह बीड़ा आसान नहीं है। हमारे सामने एक ऐसा बहुसंख्यकवादी शासन है जो हमारी साझा संस्कृति और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को नष्ट करने पर आमादा है। लेकिन हम अपने देश को हाथ से निकलने नहीं देंगे, न अपने युवाओं को पीड़ा सहने देंगे। इसलिए हमारे पास चुनौती को सीधे कबूल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। प्रत्येक नागरिक जो इस देश को प्यार करता है, उसे साथ आना होगा और इस देश के करोड़ों युवाओं के अंदर उम्मीद जगाना होगा। हर दौर और युग में, युवा ही प्रत्येक बदलाव के अगले मोर्चे पर रहे हैं। आज भी, एक युवा आंदोलन के अंदर ही देश को सही रास्ते पर लाने और हमारे सपनों का भारत बनाने की क्षमता है।
आइए, इस ऐतिहासिक मोड़ पर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए हम एकसाथ आएं और राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में योगदान दें।
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