21 अप्रैल। भारत में हीट वेव की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और अन्य सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर बोझ पड़ रहा है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रमित देबनाथ द्वारा पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण तेज हीटवेव भारत के सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को बाधित कर सकती है। भारत, 17 संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें गरीबी का न होना, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, अच्छा काम और आर्थिक विकास शामिल है।
शोध के निष्कर्षों के मुताबिक, भारत में हीटवेव ने एसडीजी की प्रगति को पहले के अनुमान से कहीं ज्यादा कमजोर कर दिया है। संभव है कि मौजूदा आकलन मेट्रिक्स जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति भारत की कमजोरियों की बारीकियों को पर्याप्त रूप से पकड़ न पाए हों। विदित हो कि पूरी दिल्ली तेज हीटवेव के प्रभावों के खतरे में है, जो कि जलवायु परिवर्तन के लिए इसकी हालिया राज्य कार्य योजना में परिलक्षित नहीं होता है। भारत में हीटवेव ज्यादा तेज हो रही हैं, जो देश के 80 फीसदी लोगों को खतरे में डाल रही है, जो कि इसके वर्तमान जलवायु भेद्यता आकलन में बेहिसाब बनी हुई है। यदि इस प्रभाव को तत्काल दूर नहीं किया गया, तो एसडीजी की दिशा में भारत की प्रगति धीमी हो सकती है।
(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)
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