1 मई। आजमगढ़ के खिरियाबाग में जमीन-मकान बचाने के लिए कई महीनों से आंदोलन कर रहे लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर प्रताड़ित किया जा रहा है। किसान नेता राजीव यादव के अपहरण की शिकायत करने पहुँचीं महिलाओं को एसपी (आजमगढ़) के कार्यालय में न घुसने देना महिलाओं का अपमान है, वहीं दलित महिलाओं को मारने पीटने, जातिसूचक गालियां देने और उनके साथ अभद्रता करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न करके दलित महिलाओं पर मुकदमा करना सरासर संविधान का अपमान है। जीने के अधिकार के लिए कड़ी तपस्या हुई।
खिरिया बाग के आंदोलनकारियों ने जाड़ा, गर्मी और बरसात झेली। होली, दीपावली और ईद भी गुजर गयी। सात महीने से अधिक हो गये, लेकिन अफसोस कि सरकार की बेदिली के चलते खिरिया बाग के आंदोलन के लिए उम्मीद का कोई चांद नहीं उभरा। हालांकि यह बड़ी बात है, कि इसके बावजूद जीत की उम्मीद ताजादम है, मुरझाई नहीं है। इस बीच आंदोलन को तोड़ने-भटकाने की तमाम कोशिशें भी हुईं, लेकिन सब की सब औंधे मुंह जा गिरीं। यह नारा और मुखर हो गया कि हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए खेत-मकान नहीं देंगे।
(‘जनज्वार’ से साभार)