11 जून। प्रतिष्ठित जर्नल साइंस में प्रकाशित और इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में हुए एक नए अध्ययन से पता चलता है, कि जब तक कानूनी रूप से अधिक बाध्यकारी और सुनियोजित नेट जीरो नीतियाँ नहीं होंगी, दुनिया के तमाम देश अपने प्रमुख जलवायु लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगे। शोधकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक स्तर पर 90% नेट जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन प्रतिज्ञाओं के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भी अपेक्षित सफलता मिलना मुश्किल है। उनके मुताबिक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए और अधिक मजबूत उपायों की तत्काल आवश्यकता है।
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता, इंपीरियल में ग्रांथम इंस्टीट्यूट के शोध के निदेशक प्रोफेसर जोएरी रोगेल ने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए इस बात पर जोर दिया, कि लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ प्रयास उन लक्ष्यों को हासिल करने पर भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु नीति महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने से लेकर उन्हें लागू करने की ओर बढ़ रही है। हालांकि हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश देश कोई खास उम्मीद नहीं देते हैं, कि वे अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेंगे।
दुनिया अभी भी एक उच्च जोखिम वाले जलवायु ट्रैक पर है, और हम एक सुरक्षित जलवायु भविष्य प्रदान करने से बहुत दूर हैं। इंपीरियल में सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल पॉलिसी के सह-लेखक डॉ. रॉबिन लेम्बोल ने भी लक्ष्यों को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “लंबी अवधि की योजनाओं को अपनाना सुनिश्चित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य बनाना महत्वपूर्ण है। हमें ठोस कानूनी रूप से बाध्यकारी नीतियाँ देखने की जरूरत है, क्योंकि तभी हमें विश्वास हो पाएगा कि कार्रवाई होगी।”
इस रिपोर्ट में इंपीरियल कॉलेज लंदन, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस, द वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-बर्कले, नीदरलैंड एनवायरनमेंटल असेसमेंट एजेंसी, इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंटल स्टडीज, न्यूक्लाइमेट, इंस्टीट्यूट, कोपर्निकस इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट, और यूनिवर्सिडेड फेडरल डो रियो डी जेनेरियो सहित दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हैं। इन सब ने साथ आकर वैश्विक नेट जीरो नीतियों और जलवायु परिवर्तन शमन पर उनके संभावित प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करने के लिए इस अध्ययन में सहयोग किया है।
(‘देशगाँव’ से साभार)