एमएसपी की गारंटी से होगा किसान का असल सम्मान – किसान मोर्चा

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14 मई। आज प्रधानमंत्री ने पीएम किसान सम्मान योजना की 8वीं किस्त जारी की। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह अफसोसनाक है कि एक निरन्तर चल रही योजना को बार-बार त्योहार की तरह पेश किया जाता है, सिर्फ छवि चमकाने की कोशिश की जाती है। एक तरफ जहां 450 के करीब किसानों की इस आंदोलन के दौरान मौत हो गयी है व किसान 5 महीनों से ज्यादा समय सड़कों पर गुजार चुके हैैं, उस समय सरकार सिर्फ कुछ पैसे की किस्त भेजकर किसानों का सम्मान करने का दिखावा कर रही है, हम इसकी निंदा करते है। सयुंक्त किसान मोर्चा इसे किसान के सम्मान की बजाय किसान के अपमान की तरह देखता है। किसानों का असली सम्मान तभी होगा सभी फसलों पर सभी किसानों को C2+50% फार्मूला के हिसाब से एमएसपी की कानूनी गारन्टी मिलेगी व और उस रेट से खरीद होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में आगे कहा गया है कि वर्तमान में पूरे देश के किसानों की सबसे बड़ी सार्वभौमिक आवश्यकता न्यूनतम समर्थन मूल्य है जो वे अपनी फसलों पर चाहते हैं। किसान पूरी मेहनत करके भी अपनी फसलों के भाव नहीं ले पाते हैं। आज अपने भाषण में प्रधनमंत्री ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले गेहूं की एमएसपी पर खरीद इस साल 10 फीसद ज्यादा हुई है। सरकार न तो कभी जनता को आश्वस्त कर पाई है न ही किसान संगठनों के साथ बैठकों में समझा पाई है कि सभी किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी मिलेगा। जब सरकार यह कहती है कि एमएसपी पर वर्तमान प्रणाली चलती रहेगी तो वह दरअसल यही कहना चाहती है कि किसान एमएसपी से वंचित रहेंगे। प्रधानमंत्री ने आज के भाषण में सिर्फ गेहूं के एमएसपी के बारे में बात की परंतु बाकी फसलों के भाव की लूट के बारे में चुप रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज दिया जा रहा है। इसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद यह प्रणाली खतरे में पड़ जाएगी। खेती सेक्टर में कॉरपोरेट का प्रवेश होने व आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉक लिमिट हटाने के बाद पीडीएस सिस्टम भी बंद हो जाएगा व देश की अधिकांश गरीब जनता के लिए अपने खाने भर अनाज पाना बहुत मुहाल हो जाएगा। सयुंक्त किसान मोर्चा का संघर्ष इन्हीं मुद्दों को लेकर है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि यह बहुत निंदनीय है कि प्रधानमंत्री व कृषिमंत्री ने आज के कार्यक्रम में एक बार भी प्रदर्शनकारी किसानों का नाम नहीं लिया। पिछले साढ़े पांच महीनों से सड़कों पर धरना दे रहे किसानों से सरकार आत्मसम्मान छीनकर उन्हें बदनाम कर रही है। किसान को चरमपंथी, कट्टरपंथी व अन्य शब्दों का प्रयोग कर बदनाम करने की कोशिश की गई है, दूसरी ओर टेलीविजन पर किसान सम्मान शब्द का प्रयोग किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा इसकी कड़ी निंदा करता है।

22 जनवरी के बाद सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत नहीं की है। आज के प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में भी सुनियोजित तरीके से पहले से तैयार बातचीत के फॉरमेट पर ही कुछ किसानों से बातचीत हुई। सरकार मीडिया में अपनी छवि बचाने के बजाय दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों से बातचीत करे व उनकी मांगें माने।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में आगे कहा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर अपना किसान विरोधी चेहरा दिखाया है। अपनी शासन व्यवस्था की नाकामी का ठीकरा किसानों पर फोड़ते हुए खट्टर ने कहा है कि किसानों की वजह से कोरोना फैला है। यह बहुत निंदनीय बयान है, हम इसका विरोध करते हैं। हरियाणा सरकार किसानों के जज्बे व हौसले को तोड़ना चाहती है जिसे किसान नहीं टूटने देंगे।

सिंघु बॉर्डर पर आज ईद भी मनाई गई। इस आंदोलन की शुरुआत से ही मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुले मन से सेवा दी है। लंगर से लेकर हर प्रबंधन में सहयोग किया है। किसानों के धरने में आज ईद का त्योहार मनाया गया व किसानों को धर्म के आधार पर बांटनेवाली ताकतों को करारा जवाब दिया गया।

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