सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई में हर साल 70 मजदूर गॅंवा रहे अपनी जान

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27 जुलाई। इंसानों से सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करवाना बंद करने की वर्षों से उठ रही माँग के बावजूद यह घोर यंत्रणादायी काम आज भी जारी है। जिसके चलते सैकड़ों सफाई मजदूर अपनी जान गँवा रहे हैं। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास अठावले ने बताया कि विगत पाँच वर्षों में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 339 लोगों की मौत हुई है। वहीं 2023 में इन घटनाओं में नौ लोगों की मौत हुई। वर्ष 2022 में 66, वर्ष 2021 में 58, वर्ष 2020 में 22, वर्ष 2019 में 117 तथा वर्ष 2018 में 67 लोगों की मौत हुई। यानी हर साल औसतन 70 लोग सीवर की सफाई में अपनी जान गँवा रहे हैं।

सरकार के इन दावों को ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ ने सिरे से खारिज कर सरकार पर निशाना साधा है। ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन ने संसद में केंद्र सरकार द्वारा सीवर-सेप्टिक टैंक में हुई मौतों के बारे में दिये गये आँकड़ों पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि ये सही संख्या नहीं है। सिर्फ 2023 में जनवरी से जुलाई तक 58 भारतीय नागरिकों की सीवर-सेप्टिक टैंक में मौतें हो चुकी हैं, जबकि सदन में बताया गया कि इस साल सिर्फ 9 लोग मारे गये।

गौरतलब है कि कानून में दी गई सुरक्षात्मक सावधानियां न बरतने के चलते सीवरों से निकलने वाली विषैली गैसों से मजदूरों की जान चली जाती है। कानून के मुताबिक सफाई एजेंसियों के लिए सफाई कर्मचारियों को मास्क, दस्ताने जैसे सुरक्षात्मक उपकरण देना अनिवार्य है, लेकिन एजेंसियाँ अक्सर ऐसा नहीं करतीं। कर्मचारियों को बिना किसी सुरक्षा के सीवरों में उतरना पड़ता है।


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