एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रेस और पत्रिकाओं के पंजीकरण विधेयक पर जताई चिंता

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7 अगस्त। देश में संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 को लेकर चिंता जताई है। गिल्ड का मानना है, कि इस विधेयक में कुछ ऐसे कठोर प्रावधान हैं, जो प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। एक बयान में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने माँग की है कि प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण(पीआरपी) विधेयक, जो प्रेस और पुस्तकों के पंजीकरण अधिनियम-1867 को प्रतिस्थापित करना चाहता है, संसदीय समिति को भेजा जाए।

गिल्ड ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, राजनीतिक दलों के नेताओं, साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्री ठाकुर को पत्र लिखकर अपनी चिंता से अवगत कराया है। गिल्ड प्रेस रजिस्ट्रार की शक्तियों के विस्तार, नागरिकों पर पत्रिकाएँ निकालने पर नए प्रतिबंध, समाचार प्रकाशनों के परिसर में प्रवेश करने की शक्ति की निरंतरता, कई प्रावधानों में निहित अस्पष्टता और सत्ता को लेकर अस्पष्टता को लेकर चिंतित है।

गिल्ड ने अपने बयान में आगे कहा, कि ऐसे नियम न बनाएं, जिनका प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसमें कहा गया है, कि इस मुद्दे पर कानून को प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति अधिक सम्मानजनक होना चाहिए और नियामक अधिकारियों को “अपनी इच्छा और इच्छानुसार प्रेस में हस्तक्षेप करने या उसे बंद करने” की व्यापक शक्तियां देने से बचना चाहिए। गिल्ड ने कहा, कि प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करने के लिए, सभी नियमों को अधिनियम के भीतर स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए और भविष्य की सरकार या सरकारी प्राधिकरण के विवेक पर कोई प्रावधान नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

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