किसान संघर्ष समिति की 309वीं किसान पंचायत में मेधा पाटकर समेत कई किसान नेता हुए शामिल

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# एमएसपी, सूखा राहत, कर्जमुक्ति, फसल बीमा जैसे मुद्दों पर किसान संगठन हो रहे एकजुट

# 3 अक्टूबर को पूरे देश में प्रतिरोध दिवस, 26 से 28 नवंबर तक राज्यों की राजधानियों में किसानों का धरना

# मप्र में चुनाव के कारण, नवंबर के बजाय, 2 से 4 अक्टूबर तक भोपाल में राजभवन के बाहर 75 घंटे का धरना

12 सितंबर। किसान संघर्ष समिति की 309वीं किसान पंचायत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस किसान पंचायत को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, किसान संघर्ष समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुशीला ताई मोराळे, राजस्थान से किसान संघर्ष समन्वय समिति के गुरप्रीत सिंह संघा, छत्तीसगढ़ से अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी, भारत किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव डॉ आनन्द प्रकाश तिवारी, पंजाब से किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष हरजीत सिंह रवि, अ.भा. किसान सभा के प्र.महासचिव प्रहलाददास वैरागी, रीवा से संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक एड शिवसिंह, सागर से भा.किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के प्र.अध्यक्ष संदीप ठाकुर, छिंदवाड़ा से किसंस की उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, इंदौर से किसंंस के संयोजक रामस्वरूप मंत्री, सिवनी से प्रदेश सचिव डॉ राजकुमार सनोडिया, सागर से जिलाध्यक्ष अभिनय श्रीवास आदि ने संबोधित किया।

किसान पंचायत को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं से एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्जा मुक्ति के कानून को लेकर बातचीत करनी चाहिए ताकि इन मुद्दों को घोषणापत्रों में शामिल कराया जा सके।
उन्होंने कहा कि फसल बीमा का मुद्दा भी देश में महत्वपूर्ण है क्योंकि फसल बीमा का प्रीमियम तो लिया जाता है लेकिन नुकसान होने पर समय पर उचित मुआवजा नहीं दिया जाता।

उन्होंने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन के 38 वर्ष पूरे होने पर 15-16 सितंबर को बड़वानी में नदियों को बचाने के लिए विधेयक बनाने का प्रयास देश भर के जन संगठन करेंगे। उन्होंने 16 सितंबर को बड़वानी में होने वाले ‘नदी बचाओ, जीवन बचाओ’ सम्मेलन में शामिल होने की अपील की है।

प्रो सुशीला ताई मोराले ने कहा कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में किसानों के सामने एक तरफ सूखे का संकट खड़ा है, वहीं विदर्भ और कोंकण में किसान अतिवृष्टि से जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र में हर दिन तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन सरकार फिर भी किसानों की कोई सुनवाई नहीं कर रही है।

एड आराधना भार्गव ने कहा कि छिंदवाड़ा के विस्थापित किसानों ने सड़क पर संघर्ष करने के साथ-साथ अपने संघर्ष को सर्वोच्च न्यायालय तक भी पहुंचाया है।

डॉ. सुनीलम ने कहा कि किसान संघर्ष समिति के द्वारा 309वीं किसान पंचायत की जा रही है। किसान संघर्ष समिति के गठन के 21वर्ष बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया गया तथा 23 वर्ष बाद संयुक्त किसान मोर्चा बना। जिससे किसानों की एकता देश भर में उभरी है। अब समय आ गया है जब किसान अपने मुद्दों को राजनीतिक दलों की सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने हेतु मजबूर करें।

उन्होंने अपील की कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों की स्मृति में पूरे देश में प्रतिरोध दिवस/ शहादत दिवस मनाया जाएगा। 26 से 28 नवंबर को सभी प्रदेशों की राजधानियों में राजभवनों पर किसानों का जमावड़ा होगा लेकिन मध्य प्रदेश में 2 से 4 अक्टूबर को भोपाल में राजभवन पर 75 घंटे की किसान महापंचायत करेंगे क्योंकि यहां विधानसभा चुनाव हैं।
डॉ सुनीलम ने कहा कि किसान संगठन केंद्र सरकार और इंडिया गठबंधन को एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्जा मुक्ति का कानून बनाने को मजबूर करें।

किसान नेता गुरप्रीत सिंह संघा ने कहा कि जब किसान केंद्र सरकार का विरोध करने चंडीगढ़ जा रहे थे तब पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने किसानों पर लाठीचार्ज किया। जिसमें सरदार प्रीतम सिंह शहीद हुए।
हरियाणा सरकार ने रविन्द्र सिंह को इस तरह घायल किया कि किसान का पैर काटा गया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में 16 संगठन मिलकर संघर्ष चला रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के किसान नेता डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि देश में किसानों की आबादी 70% है लेकिन 30 से 40% वोट लेकर पार्टियां सरकार बना लेती हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में एमएसपी नहीं मिलने से किसानों को 45 लाख करोड़ का घाटा हुआ है। सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद नहीं होने से किसानों को सालाना 7 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।

पंजाब के किसान नेता हरजीत सिंह रवि ने कहा कि गन्ने की बकाया राशि के भुगतान का मुद्दा पंजाब सहित कई राज्यों में महत्वपूर्ण है। सभी किसान संगठनों को मिलकर गन्ने के बकाये के भुगतान के लिए बड़ा आंदोलन चलाना चाहिए।

उत्तरप्रदेश के किसान नेता डॉ आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि कृषि प्रधान देश होने के बावजूद सरकारें किसानों की हालत सुधारने के लिए कोई भी कार्य करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए।

रीवा से संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक एड. शिवसिंह ने कहा कि रीवा में शहीद राघवेंद्र सिंह के शहादत दिवस 22 सितंबर को मध्य प्रदेश का किसान सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने सभी संगठनों से किसान सम्मेलन में शामिल होने की अपील की।

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश महासचिव प्रहलाद दास बैरागी ने कहा कि मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि- अल्पवृष्टि और इल्ली के प्रकोप से फसलें नष्ट हुई हैं लेकिन पटवारी की हड़ताल के चलते फसलों का सर्वे नहीं हो रहा है। उन्होंने सरकार से अविलंब फसलों का सर्वे करने की वैकल्पिक व्यवस्था कराने की मांग की।

मालवा निमाड क्षेत्र के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार लगातार किसानों का शोषण कर रही है। पिछले 4 साल से ना तो प्याज, सोयाबीन का भावांतर का पैसा मिला है और ना ही गेहूं पर घोषित किया गया बोनस। इंदौर के 186 किसान पिछले 4 साल से अपने बकाया पौने तीन करोड़ रुपए के भुगतान के लिए कृषिमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। इंदौर में निरंजनपुर में सब्जी और फल मंडी लग रही है लेकिन उसे उप मंडी घोषित नहीं किया जा रहा है।

सागर के किसान नेता संदीप ठाकुर ने कहा कि सरकार किसानों से बदला लेना चाहती है क्योंकि किसान कॉर्पोरेट के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में नकली खाद, बीज, कीटनाशक के अवैध धंधे से किसानों की ठगी हो रही है। नकली खाद, बीज, कीटनाशक बेचने वालों को आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए।

सिवनी के डॉ राजकुमार सनोडिया ने कहा कि इस समय जंगली जानवर फसलों को नष्ट कर रहे हैं। मुआवजा देना तो दूर की बात है, देखने वाला तक कोई नहीं है।
गांव-गांव चौक-चौराहों पर अवैध शराब बिक रही। लाडली बहना परेशान हो रही हैं। स्कूलों में जहां बच्चे हैं वहां शिक्षक नहीं, जहां शिक्षक हैं वहां बच्चे नहीं हैं।

सागर के किसान संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष अभिनय श्रीवास ने कहा कि अब किसानों को चुनाव में अपनी ताकत दिखाने का समय आ गया है।

मुलताई से भागवत परिहार ने कहा कि प्रदेश में जब सूखे की स्थिति बनी तब सरकार द्वारा किसानों को रात में 8 बजे से ढाई बजे तक बिजली दी जाती थी। जंगली जीव-जंतुओं के डर से घनी रात में सिंचाई करना किसी के लिए भी संभव नहीं है। सिंचाई हेतु केवल रात में बिजली देना सरकार की अमानवीयता है। पानी की कमी और सिंचाई के अभाव में फसलें अत्यधिक प्रभावित हो गई हैं। इस वर्ष उपज आधी भी नहीं होगी।

– भागवत परिहार

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